गुरुवार व शुक्रवार की मध्यरात्रि में निकलेगा माता का खप्पर

खरगोन। भावसार क्षत्रिय समाज द्वारा पिछले करीब 406 वर्षों से चली आ रही खप्पर की परंपरा अंतर्गत महाअष्टमी एवं महानवमी पर माता का खप्पर निकाला जाता है। इसी के अंतर्गत इस वर्ष गुरुवार की मध्यरात्रि में माता अंबे एवं शुक्रवार की मध्यरात्रि में माता महाकाली का खप्पर निकाला जाएगा। खप्पर आयोजन समिति अध्यक्ष डॉ. मोहन भावसार ने बताया कि 406 वर्षों से खप्पर निकालने की परंपरा चली आ रही है, जिसका आज भी निर्वहन किया जा रहा है। कार्यक्रम में सर्वप्रथम झाड़ की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। सर्वप्रथम गरबियों के साथ पहले भगवान श्री गणेश निकलते है। इसके पश्चात माता अंबे एवं माता महाकाली शेर पर सवार होकर निकलती है। अंत में भगवान नरसिंह द्वारा हिरण्यकश्य के वध के पश्चात कार्यक्रम का समापन होता है। मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र भावसार लाला ने बताया कि कार्यक्रम भावसार मोहल्ला स्थित श्री सिद्धनाथ महादेव मंदिर प्रांगण में संपन्न होता है। कार्यक्रम को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होते है।

यह निभा रहे है वर्षो पुरानी परंपरा

खप्पर आयोजन समिति के हेमंत भावसार, मनोहर भावसार व भोला भावसार ने बताया कि खप्पर कार्यक्रम में दायित्व निभा वाले एक पीढ़ी के होते है। महाअष्टमी पर मां अंबे का स्वांग मनोज मधु भावसार व आयुष सुनील भावसार धारण करते है। वही महानवमी पर माता महाकाली का स्वांग लाला जगदीश भावसार धारण करते है। समिति के मनोज भावसार, गौरव भावसार व प्रीत भावसार ने बताया कि भगवान नरसिंह का स्वांग अभिषेक नंदकिशोर भावसार व हिरणकश्यप का स्वांग उदित संतोष भावसार धारण करते है। इसके अलावा भगवान श्री गणेश का स्वांग आयुष भार्गव व प्रीत भार्गव एवं हनुमानजी का स्वांग सुनील भावसार धारण करते है।

रोजाना हो रहा है गरबियों का अभ्यास

महाअष्टमी एवं महानवमी पर निकलने वाले खप्पर के दौरान गरबियों का अभ्यास रोजाना मिरदिंग एवं झान-मजीरा के साथ किया जा रहा है। इस दौरान जगदीश भावसार, राजू भावसार, सोनू बादशाह, ऐश्वर्य कान्हा भावसार, राम भावसार, निखिल भावसार, ऋषि भावसार, ऋतिक धारे, कमल धारे, श्याम धारे, धर्मेंद्र भावसार लाला, अनुज भावसार, शैलेंद्र भावसार, आदित्य धारे, मोहित भावसार, सौरभ धारे, धीरज भावसार, अज्जू भावसार, नकुल भावसार, सार्थक भावसार, हर्ष भावसार, वैभव भावसार, शिवम भावसार, स्वप्निल भावसार, दिव्यांश भावसार, जिम्मी भावसार, सोम भावसार, देव भावसार, हरि भावसार, शुभ भावसार आदि द्वारा रोजाना गरबियों का अभ्यास किया जा रहा है।

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