सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध करने से 16 श्राद्धकर्म की पूर्णता हो जाती है - पंडित ठक्कर

सर्वपतिृ अमावस्या तर्पण के साथ किया धर्म पिंडदान

खरगोन। बुधवार को सर्वपितृ अमावस्या के उपलक्ष्य में कुंदा नदी तट स्थित मां अहिल्या घाट पर सामुहिक रूप से तर्पण कार्यक्रम आयोजित किया गया। यहां तर्पण व अपने पित्रों के पिंडदान के साथ धर्म पिंडदान भी किया गया। साथ ही देश के शहीदों, संतों एवं महापुरुषों के नाम का भी तर्पण किया। गीता गंगा ट्रस्ट अध्यक्ष पंडित जगदीश ठक्कर ने बताया कि श्राद्ध कर्म घर में, नदी तट या तीर्थ में होता है, तो उसका अधिक महत्व होता है। पितृ की मुक्ति के लिए श्राद्ध का विशेष महत्व बताया गया है। कहां जाता है कि सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध करने से 16 श्राद्धकर्म की पूर्णता हो जाती है तथा पितृ को शाश्वत संतुष्टि मिलती है। अपने पितृ के लिए पिंडदान, श्राद्ध तर्पण, यज्ञ, विप्रों को भोजन करना एवं गौदान करते है उनके पितृ तृप्त होकर समस्त मनोकामनाएं को आशीर्वाद देते हैं। पंडित ठक्कर ने कहा कि तुलसी से पिंडार्चन किए जाने पर पितृगण प्रलयपर्यंत तृप्त रहते हैं। तुलसी की गंध से प्रसन्न होकर गरुड़ पर आरुढ़ होकर विष्णुलोक चले जाते हैं।

शहीदों, संतो एवं महापुरूषों के नाम का भी हुआ तर्पण

कार्यक्रम के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र भावसार लाला ने बताया कि सर्वपितृ अमावस्या के दिन देश के लिए अपनी जान कि बाजी लगाकर सीने पर गोली खाने वाले ऐसे शहीद, जिनका दुनिया में कोई नहीं है और जो दिन-रात बॉर्डर पर देश के रक्षा के लिए तैनात रहते, उनका भी तर्पण किया। साथ ही देश के ऐसे महापुरुष जिन्होंने देश एवं समाज के लिए कुछ किया हो, उनका भी तर्पण किया। इसके अलावा आदिगुरु शंकराचार्य, अहिल्याबाई, तुलसीदास जी, श्री पूर्णानंद जी, डंडी स्वामी मोहनानंद जी सहित अन्य संतों का भी सामूहिक रूप से तर्पण किया गया। तपर्ण में विष्णु पुजन के साथ ब्रह्म यज्ञ, देव, मनुष्य, यम, पितृ तर्पण व भिष्म तर्पण के साथ वैश्वदेव यज्ञ भी कराया गया।

12 वर्षीय बालक ने किया अपने पिता का तर्पण व पिंडदान 

खरगोन के ब्राह्मणपुरी निवासी 12 वर्षीय दिव्यांश भावसार ने बुधवार को आयोजित हुए सामूहिक तर्पण एवं पिंडदान कार्यक्रम में सहभागिता की। इस दौरान दिव्यांश ने अपने पिता के तर्पण कर पिंडदान किया। मीडिया प्रभारी श्री भावसार ने बताया कि तर्पण में जिन व्यक्तियों ने हिस्सा लिया, उन्होंने अपने माता-पिता का तो तर्पण किया ही है। साथ ही उन्होंने अपनी बुआ-फूफा, मासाजी- मासी, काका-काकी, बड़े पापा-मम्मी, मामा-मामी, पुत्र-पुत्री के साथ अपने गुरु, मित्र, शिष्य एवं पड़ोसी के नाम का भी तर्पण किया।

सनातन धर्म के जनमानस ने सामूहिक रूप से किया तर्पण        

आयोजन के मुख्य सुत्रधार पंडित जगदीश ठक्कर ने कहा कि सर्वपितृ अमावस्या पर सनातन धर्म के सभी जनमानस ने उपस्थित होकर सामूहिक रूप से तर्पण किया। पंडित ठक्कर ने कहा कि तर्पण पिंडदान करने से पूर्व आनामिका उंगली में कुश की बनाई हुई पवित्री (अंगूठी )पहनाकर काले तिल व जौ के साथ पित्रों का आव्हान कर के अपना व अपने मामा गौत्र के पित्रों के साथ समस्त दिवंगत पित्रों, संत, सैनिक, पुलिसकर्मी, अन्य जिनका देश के प्रति सहयोग रहा व संतो सहित गत दिनों बांग्लादेश में हुई हिंसा में मारे गए सनातनी हिंदुओं की मुक्ति की प्रार्थना के साथ तर्पण किया। पंडित श्री ठक्कर ने आगे बताया कि जिस व्यक्ति को पितृ दोष है वह भी इस दिन जल तर्पण एवं पिंडदान करके दोष से मुक्त हो सकता है।

जिनका दुनिया में कोई नहीं है उनके लिए भी किया तर्पण

सर्वपितृ अमावस्या पर हुए सामुहिक कार्यक्रम में अपने-अपने पित्रों के साथ जिनका दुनिया में कोई नहीं है, ऐसे व्यक्तियों के लिए भी तर्पण किया। गुरुद्वारा मार्ग निवासी संतोष गुप्ता, गंगा नगर निवासी बंटी भावसार ने बताया कि तर्पण करने से आत्मा को शांति मिलती है और घर में सुख शांति बनी रहती है। कार्यक्रम में खरगोन, सेंधवा, चाचरिया, मांगरुल सहित अन्य जगहों से आए व्यक्ति ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में ब्राह्मणों को भोजन भी कराकर उन्हे वस्त्र व महिलाओं को सुहाग की सामग्री भेंट की।

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