पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी श्रीरामचरितमानस की प्रासंगिकता शाश्वत है...आचार्यश्री

 तुलसी जयंती पर ब्राह्मण समाज ने किया नवाचार

खरगोन श्रीरामचरितमानस के विभिन्न प्रसंगो में प्रकृति के विभिन्न अवययों – नदी, पर्वत, विभिन्न प्रकार की वनस्पति, जीव-जंतु, पशु-पक्षी आदि को देवी-देवताओं से जोड़कर तथा हमारे जीवन में उनकी उपयोगिता-आवश्यकता तथा महत्त्व को सिद्ध करके गोस्वामी जी ने पर्यावरण-संतुलन की आवश्यकता पर भी विशद रूप से प्रकाश डाला है। इसके साथ-साथ देश और समाज के लिए पर्यावरण की उपयोगिता-अनिवार्यता के कारण इसके संरक्षण की आवश्यकता पर भी पर्याप्त बल दिया है। अंततः हम कह सकते हैं कि पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी श्रीरामचरितमानस की प्रासंगिकता कालजयी है। उक्त उदगार पर्यावरण रक्षार्थ कथाकार आचार्य श्री संजय चंद्रात्रे ने व्यास गादी से व्यक्त किए।

"तुलसी तरुवर विविध सुहाए।कहुं-कहुं सिय,कहुं लखन लगाए”

आपश्री ने इस दोहे की व्याख्या करते हुए कहा कि तुलसीदासजी कहते हैं कि सीताजी व लक्षमणजी द्वारा लगाए गए विविध प्रकार के पौधे बहुत ही सुन्दर दिखाई दे रहे हैं। यहाँ तुलसीदासजी बड़ी ही बारीकी से हमें वृक्षारोपण के लिए प्रेरित कर रहे हैं। निश्चय ही तुलसीदास के समय भारत में पेड़ों और जंगलों की संख्या आज की अपेक्षा अधिक थी, किन्तु उस काल खंड में रचित अपने काव्य में वृक्षारोपण को इंगित करना तुलसी दास का प्रकृति प्रेम दर्शाता है। और हमें प्रकृति संरक्षण व पौध रोपण की प्रेरणा देता है। 

प्रकृति के साथ मनमानी नही करे

आचार्य श्री ने कथा के द्वितीय दिवस भक्ति चरित्र एवम नवधा भक्ति का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि सेतुबंध के पूर्व भगवान राम द्वारा समुद्र से प्रार्थना करना यह संदेश देता है कि हम प्रकृति के साथ मनमानी नहीं कर सकते। और यदि मनमानी करेंगे तो निश्तित रूप से प्रकृति हमारा साथ नहीं देगी और हमारा नुकसान होगा।

 ब्राह्मण समाज ने किया सम्मान

श्री महामृत्युंजय महादेव मंदिर समिति द्वारा गांधी नगर में आयोजित पर्यावरण रक्षार्थ श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस आचार्य श्री संजय चंद्रात्रे का खरगोन ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष दीपक घोड़े द्वारा भगवा ओपरना डालकर सम्मान किया गया।

मनोरथीयो ने की कथा पुराण की आरती

तुलसी दिवस के शुभ दिवस पर मुख्य मनोरथी सीताराम भडोले, सह मनोरथी राजेंद्र पाठक(धूलिया) एवम मनोरथी श्रीमती पारसमणि गुप्ता के कर कमलों से श्रीकथा पुराण आरती संपन्न हुई। एवम समाज सेवी महेंद्र गुप्ता (काबरी वाले) के समर्पण से हलवे की महाप्रसादी वितरित की गई।



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