खरगोन अनाज मंडी में नए गेहूं चने की बड़ी आवाक, किसानों को मिले अच्छे दाम

खरगोन मंडी में इन दिनों नए गेहूं और चने की आवाज में लगातार बढ़ोतरी हो रही है इस बार किसान समर्थन मूल्य पर गेहूं और चना बेचने में रुचि नहीं दिखा रहे चना और गेहूं का मंडी में उच्चतम भाव मिला है वहीं सोमवार को खरगोन अनाज मंडी में बड़ी संख्या में नए गेहूं और चने की आवक हुई वही मंडी से मिली प्राप्त जानकारी के अनुसार गेहूं की 2500 क्विंटल खरीदी की गई वही चने की 15 क्विंटल खरीदी हुई वहीं गेहूं का अधिकतम भाव 2666, न्यूनतम भाव 2275 रहा, न्यूनतम और अधिकतम भाव के बीच में ₹2375 गेहूं का मॉडल रहा । वही चने के भाव की बात की जाए तो चने का अधिकतम मूल्य ₹6400 रहा को न्यूनतम भाव 5800 रहा । न्यूनतम और अधिकतम के बीच में चने का 6250 रुपये मॉडल भाव रहा इन भावों में भी किसानों के द्वारा नए गेहूं और चने की जमकर बिक्री की गई वहीं व्यापारियों ने भी नए गेहूं और चने की जमकर खरीदी की। 


कपास, मक्का, सोयाबीन एवं अन्य खरीफ फसलों में अधिक उत्पादन के लिए

एनपीके मिश्रित उर्वरकों का करें प्रयोग

आगामी खरीफ मौसम में खरगोन जिले में कुल 4 लाख 16 हजार 930 हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुवाई की जाती है। जिसमंे से कपास की फसल 02 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में बोई जाती है। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को सलाह दी गई है कि कपास फसल में बुवाई के समय आधार खाद के रूप में सिंगल सुपर फास्फेट की आधी मात्रा 2500 कि.ग्रा. प्रति हेक्ट के साथ यूरिया 35 कि.ग्रा. तथा पोटाश 33.5 कि.ग्रा. प्रति हेक्ट. की दर से उपयोग करने से कपास फसल का अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। 

उप संचालक कृषि प्रकाश ठाकुर ने बताया कि कपास फसल में बुवाई के समय 12ः32ः16 एनपीके 250 कि.ग्रा. एवं यूरिया 280 कि.ग्रा. प्रति हेक्ट. की दर से उपयोग करने से पोटाश खाद अलग से नहीं देना पडेगा। कपास फसल को 12ः32ः16 एनपीके खाद से पोटाश की आवश्यक मात्रा मिल जायेगी। कपास में पोटाश के उपयोग से कीट-बीमारियों का प्रकोप भी कम होगा। मिट्टी परीक्षण के आधार पर खरगोन जिले की मिट्टी में पोटाश की अनुशंसा की गई है। कपास फसल में अन्य एनपीके उर्वरक जैसे 20ः20ः00ः13 एनपीके 4 बैग प्रति हेक्ट 16ः16ः16 एनपीके 10 बैग प्रति हेक्ट तथा 15ः15ः15 एनपीके 10.5 बैग प्रति हेक्ट बुवाई के समय आधी मात्रा एवं बुवाई के 2 माह बाद फिर से आधी मात्रा का प्रयोग करे। 

डीएपी में पोटाश नहीं होता है, इसलिए पोटाश की कमी से कीट-बीमारियों का प्रकोप अधिक होता है और कपास के उत्पादन में कमी आती है। अनुसंधान की रिपोर्ट के अनुसार कपास फसल में एनपीके मिश्रित उर्वरकों के प्रयोग से कपास का गुणवत्तायुक्त अधिक उत्पादन लिया जा सकता हैं। जिले की अन्य फसलें जैसे मक्का, सोयाबीन, ज्वार, मिर्च आदि फसलों में भी सिंगल सुपर फॉस्फेट के साथ एनपीके मिश्रित उर्वरकों के उपरोक्त खादों का उपयोग करना लाभप्रद पाया गया है। मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला द्वारा परीक्षण किये जा रहे नमूनों के आधार पर जिले की मृदा में जिंक की कमी है। कृषकों को सलाह दी गई है कि समन्वित उर्वरकों में जिंक सल्फेट का 20 से 25 किग्रा प्रति हेक्ट. प्रति 3 वर्ष में एक बार अनिर्वाय रूप से उपयोग करे। जिससे उत्पादन बढाते हुए अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।

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