माट्टी में जैविक कार्बन बड़ाना हैं हमे बायोचार बनाना हैं
आईये हम करे एक नई शुरुवात...
खरगोन। सामाजिक संस्था निरंजनलाल अग्रवाल फाउंडेशन खरगोन एव बीटल रीजन सॉल्यूशन, दिल्ली द्वारा मिट्टी के स्वास्थ को सुधारने के लिए खरगोन एव बड़वानी जिलों में लगभग 247 गावों में किसानों के साथ मिलकर बायोचार बनाने का अभियान शुरू कर दिया गया है I इस अभियान के तहत भगवानपुर तहशील के ग्राम थरडपूरा , कसरावद तहशील के ग्राम रामपुरा और सेगाव तहशील के ग्राम श्रीखंडी से बायोचार बनाने की शुरुवात कर दी गई है I बीटल रीजन सॉल्यूशन की टीम से प्रशिक्षक श्री पंकज देशमुख एवं सुनील जी (संभाजीनगर) द्वारा निरंजनलाल अग्रवाल फाउंडेशन के स्टॉफ एवं किसानों को बायोचार बनाने हेतू प्रशिक्षण दिया गया Iके.के. फाइबर्स, खरगोन के डायरेक्टर श्री आशुतोष अग्रवाल जी ने बताया कि बायोचार बनाने के लिए एक कोंड (शंकु) रूपी गड्ढा जिसकी चौड़ाई दो मीटर के व्यास और 1.5 मीटर घहराई होती है, एक बायोचर बनाने के लिए 40 से 50 क्विंटल कपास काठी की आवश्यकता होती हैं I जिससें से लगभग 10 क्विंटल बायोचर प्राप्त होता है I बीटल रीजन सॉल्यूशन परियोजना संचालक श्री हेमन्त राजपूत जी के मार्गदर्शन में बहुत अच्छे से इस कार्य को किया गया जो बहुत सहरानीय है I उन्होंने बताया की बायोचार से मिट्टी में जैविक कार्बन बढ़ता है, जिसके कारण मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बढ़ती है साथ ही भूमि में जलधारण क्षमता में भी सुधार होता है। बायोचार के उपयोग से किसानों को प्रति एकड़ रासायनिक खाद में जो खर्च करना पड़ता है,उसमें भी बचत होती हैं। यदि लगातार 2 से 3 वर्ष किसान बायोचर का उपयोग अपने खेत में करे, तो मिट्टी का जैविक कार्बन 1 प्रतिशत तक हो सकता है। यदि जैविक कार्बन बड़ जाता है तो किसानों को अन्य खाद की आवश्यकता नही होगी। जिससे किसानों को अच्छी उपज मिलेंगी Iपूरी टीम को परियोजना अधिकारी श्री अर्जुन पटेल, शांतिलाल राठोड़, रविन्द्र यादव, अनिल यादव ने धन्यवाद दिया साथ ही सभी को बधाई भी दी की खरगोन बड़वानी जिले में इस प्रकार का किसानो के लिए नवचार हुवा।
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