चीन की अर्थव्यवस्था पहुंची बर्बादी की कगार पर
जानकारों की मानें तो साल 2023 में चीन की अर्थव्यवस्था में जो गिरावट शुरू हुई थी उसमें इस साल भी यानी 2024 में भी वापसी की गुंजाइश नजर नहीं आ रही है. इस बीच अपनी अर्थव्यवस्था में खराब कर्ज की समस्या से निपटने के लिए चीन बड़ी संख्या में छोटे बैंकों का विलय कर रहा है.
हालांकि चीन की कमजोर होती अर्थव्यवस्था के बीच एक सवाल ये उठता है कि इसका दुनिया के अन्य देशों पर क्या असर पड़ेगा? दरअसल कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के राजस्व का बड़ा हिस्सा चीन के बड़े उपभोक्ता बाजार से आता है. ऐसे में अगर चीन की एक अरब 40 करोड़ आबादी अपने खर्च को कम कर देती है तो एप्पल, वॉक्सवैगन और बरबेरी जैसी सैकड़ों मल्टीनेशनल कंपनियों का क्या होगा?
ज्यादा खर्च करने से बच रहे हैं चीन के घरेलू उपभोक्ता
एसओएएस यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में फाइनेंशियल इकोनॉमिक्स की प्रोफेसर हांग बो ने एक रिपोर्ट में इसी सवाल का जवाब देते हुए कहा, “चीन के लोगों ने प्रॉपर्टी बाजार में जो पैसा लगाया था, 2020 में कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन के बाद उस प्रॉपर्टी की वैल्यू कम हो गई और लोगों को नुकसान झेलना पड़ा.
इस घाटे के कारण लोगों के सैलरी में भी कमी आई है. फिलहाल इस देश के लोगों के बीच भविष्य को लेकर अनिश्चितता चरम पर है, यही कारण है कि वे आने वाले दिनों के लिए बचत करने पर ध्यान दे रहे हैं. ”
30 करोड़ लोग नहीं लौटा पा रहे कर्ज का पैसा
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार इस देश में लगभग 30 करोड़ लोग कर्ज लौटाने में सक्षम नहीं हैं. चीन की एक रिपोर्ट में इस बात का दावा भी किया गया है कि उसके देश में 40 करोड़ मिडिल क्लास लोग हैं, लेकिन वर्तमान की अर्थव्यवस्था को देखते हुए यह ये लोग खर्च नहीं कर रहे हैं.”
देश की ऐसी हालत पर क्या कह रही है सरकार
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हाल ही में अपने एक बयान में विदेशी निवेशकों को भरोसा दिलाते हुए कहा कि आने वाले एक दशक में चीन में मध्य वर्गीय आबादी दोगुनी यानी 80 करोड़ हो जाएगी. जिसका मतलब है कि अगर विदेशी कंपनी यहां निवेश करती है तो खपत का मोमेंटम बेहद मजबूत है.”
चीन में बेरोजगारी का आलम
जून 2023 के आंकड़ें के अनुसार इस देश में कॉलेज-यूनिवर्सिटी से निकलने वाले 16 से 24 साल के लोगों में बेरोजगारी की दर 21.2 प्रतिशत है. बता दें कि यह बेरोजगारी से जुड़ा देश का आखिरी आंकड़ा था. इसके बाद वहां के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिसटिक्स ने आंकड़े देने ही बंद कर दिए. ऐसा माना जाता है कि चीन में बेरोजगारी का वास्तविक आंकड़ा 40% के आसपास हो सकता है.”
कम होती आबादी का असर अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रहा
पिछले दो सालों में चीन की आबादी कम हुई है. आबादी में आई कमी के कारण कामकाजी लोग घट रहे हैं. थिंक टैंक ब्रॉयगल में सीनियर रिसर्च फेलो एलिसिया गार्सिया हेरेरो के अनुसार, “चीन की जनसंख्या में कमी आने के कारण यहां का विकास दर हर साल 1.3% कम हो सकता है. और इसी कारण आने वाले कुछ सालों तक चीन की विकास दर का प्रतिशत भी गिर सकता है."
चीन इस नुकसान की भरपाई अपनी उत्पादकता बढ़ाकर कर सकता है, लेकिन अभी तक इसमें कोई बढ़त भी नहीं देखी गई है.
विदेशी निवेशक भी चीन से कतराने लगे
चीन की बिगड़ती आर्थिक स्थिति के कारण विदेशी निवेश के मामले में ग्लोबली 9वें स्थान पर पहुंच गया है. चीन का निवेश न सिर्फ ब्राजील के मामले में कम हुआ है, बल्कि लैटिन अमेरिकी देशों, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन में भी कम हुआ है. इसके उलट अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के सदस्य देशों के निवेश दर में बढ़ोतरी देखी गई है.
चीन की खराब अर्थव्यवस्था का असर देश में रह रहे युवाओं पर भी पड़ा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन में युवा बेरोजगारी दर 21.3 फीसदी हो चुकी है. ये आंकड़ा डराने वाला है. इस वक्त चीन में कुल 17 करोड़ युवा हैं, जो पूरी आबादी का 12 फीसदी हैं.
इनमें से 21.3 फीसदी युवा बेरोजगार हैं, यानी लगभग 3 करोड़ 62 लाख के करीब युवा बेरोजगार हैं. वहीं हाल में गिरती अर्थव्यवस्था की वजह से हांगकांग के हैंग सेंग शेयर बाजार में जनवरी से 20 फीसदी की कमी दर्ज की गई है.
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