बसंत पंचमी पर मां बाघेश्वरी बनी मां सरस्वती
खरगोन। माघ मास कि शुक्ल पक्ष कि बसंत पंचमी पर ब्राह्मणपुरी स्थित मां वाघेश्वरी माता मंदिर में मां बाघेश्वरी को मां सरस्वती का स्वरूप देकर श्रृंगार किया। मंदिर पुजारी जगदीश ठक्कर ने बताया कि मां बाघेश्वरी का प्रातकाल में पंचामृत गंगाजल से स्नान कर मां का सरस्वती स्वरूप भव्य श्रृंगार किया गया। इसके पश्चात महाआरती कर प्रसादी का वितरण किया। पुजारी ठक्कर ने बताया कि माघ महीने की शुक्ल पंचमी से बसंत ऋतु आरंभ होती है। इसी दिन मां सरस्वती का प्रागट्य दिवस के रूप में माना जाता है और संगीत, ज्ञान, कला, विद्या, वाणी की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन पीले रंग का विशेष महत्व है। पीले रंग के कपड़े पहने जाते हैं। इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। कहते हैं कि पीला रंग समृद्धि, एनर्जी और प्रकाश का प्रतीक है। वही पीला रंग तनाव को दूर करता है और दिमाग शांत रखता और आत्मविश्वास बढ़ाने में भी मदद करता है। पुजारी ठक्कर ने बताया कि भगवान ब्रह्मा सृष्टि के रचयिता हैं तथा उन्होंने ही देवी सरस्वती की रचना भी की थी। इसीलिए उन्हें भगवान ब्रह्मा की पुत्री के रूप में भी जाना जाता है। देवी सरस्वती को देवी सावित्री एवं देवी गायत्री आदि नामों से भी जाना जाता है।
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