शिव महापुराण के श्रवण से सम्पूर्ण पापो का नाश होता है : सुश्री कृष्णा दीदी
द्वितीय दिवस देवराज और बिंदुक ब्राह्मण की कथा सुनाई
खरगोन। शिव महापुराण के पठन अथवा ज्ञान से अवश्य ही पापी, दुराचारी, और काम, क्रोध में डूबे रहने वाले लोग शुद्ध हो सकते है। कुछ प्राचीन इतिहास का वर्णन मुनियों ने कुछ इस प्रकार से दिया है, जिसके श्रवण या पठन से पापो का संपूर्ण नाष हो जाता है । उक्त उद्गार सुश्री कृष्णा दीदी ने श्री महामृत्युंजय शिव महापुराण के द्वितीय दिवस व्यास गादी से व्यक्त किए।
आप श्री ने श्री महामृत्युंजय धाम गांधी नगर में व्यास गादी से देवराज और बिंदुक नामक ब्राह्मण के शिवलोक प्राप्ति की कथा श्रवण कराते हुवे श्री रामचरित्र मानस की पंक्ति बड़े भाग मानुष तनु पावा, सुर दुर्लभ सब ग्रंथन्हि गावा को सरल भाषा में समझाते हुवे कहा की मानव शरीर के लिए तो देवता भी तरसते हैं, उनकी अभिलाषा रहती है कि यदि मानव शरीर मिल जाता तो हम भी समुचित साधनों के द्वारा जन्म–मरण के बंधन को काट मोक्ष प्राप्त करने का उपक्रम कर पाते। देवयोनि तो भोग योनि है और अपने सत्कर्मों का सुख फल भोग कर पुनः देवों को स्वर्ग के इतर लोकों में गिरकर अन्यान्य योनियों में भटकना पड़ता है। एकमात्र मनुष्य तन के द्वारा ही कर्म करके हम कुछ भी प्राप्त कर सकते हैं। यह मानव जीवन सब कुछ दे सकने का सामर्थ्य रखता है।
श्री महामृत्युंजय शिव महापुराण कथा के द्वितीय दिवस की कथा के मनोरथी श्रीमती स्वाती गजानंद वाणी ने व्यास गादी का पूजन किया तथा कथा विराम पर कृष्णा दीदी द्वारा मनोरथी का भगवा ओपरने से अभिनंदन किया।
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