निजी स्कूल संचालक विद्यार्थियों को यूनिफॉर्म, जूते, टाई, किताबें कापियों खरीदने के लिये नहीं करेंगे बाध्य

आदेश का उल्लंघन करने पर धारा 188 के तहत होगी कार्यवाही

खरगोनकलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा ने स्कूल संचालकप्रकाशकों एवं विक्रेताओं के एकाधिकार को खत्म करने के लिए दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा-144 (1) (2) के तहत आदेश जारी किए है। निजी स्कूल संचालकों को ड्रेस और पुस्तकों को स्कूल से बेचने या कहीं और से बिकवाने पर रोक लगा दी गई है। दरअसल इसके के माध्यम से वह अभिभावकों से मोटी रकम वसूल करते हैं। जिसकी लगातार शिकायतें मिल रहीं थीं। कलेक्टर वर्मा ने मामले को संज्ञान में लेते हुए सभी निजी विद्यालय संचालकों और प्राचार्यों को हिदायत दी है कि वे अपनी पुस्तकें और अपनी ड्रेस अभिभावकों पर थोपने से बचें अन्यथा कार्यवाही के लिए तैयार रहें। किसी भी एक या चिह्नित दुकान से पुस्तक और ड्रेस खरीदने के लिए भी कलेक्टर ने सचेत किया है।

वेबसाइट पर सूची अपलोड करने के निर्देश

   स्कूल संचालकप्राचार्य स्कूल में संचालित प्रत्येक कक्षा के लिए अनिवार्य पुस्तकों की सूची विद्यालय के परीक्षा परिणाम के पूर्व ही अपने स्कूल की वेबसाइट पर अपलोड करेंगे एवं विद्यालयीन सार्वजनिक सूचना पटल पर चस्पा करेंगे। मान्यता नियमों के अंतर्गत स्कूल की स्वयं की वेबसाईट होना अनिवार्य होगा। स्कूल के प्राचार्यसंचालक पुस्तकों की सूची की एक प्रति प्रवेशित अभिभावकों को प्रवेश के समय एवं परीक्षा परिणाम के समय आवश्यक रूप से उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगे।

   स्कूल संचालक प्राचार्य विद्यार्थी एवं उनके अभिभावकों को सूचीबद्ध पुस्तके परीक्षा परिणाम अथवा उसके पूर्व क्रय करने हेतु बाध्य नहीं करेंगे। अभिभावक पुस्तकों की उपलब्धता के आधार पर 15 जून तक क्रय कर सकेंगे। ऐसी स्थिति में अप्रैल माह में प्रारंभ होने वाले शैक्षणिक सत्र में 30 अप्रैल तक के मध्य का उपयोग विद्यार्थियों के ओरिएंटेशन व्यवहारिक ज्ञान व मनोवैज्ञानिक पद्धति से शिक्षण में किया जाएगा।

      नोट-बुक (कॉपी) पर रोड किस्मसाईजमूल्य पेज आदि की संख्या स्पष्ट रूप से उल्लेखित होना। चाहिए किसी पुस्तक कॉपी अथवा इन पर चढ़ाये जाने वाले कव्हर पर विद्यालय का नाम मुद्रित नहीं किया जायेगा। कोई भी विद्यालय अधिकतम दो से अधिक यूनिफार्म निर्धारित नहीं कर सकेंगेब्लेंजर इसके अतिरिक्त होगा। विद्यालय प्रशासन द्वारा स्कूल यूनिफार्म का निर्धारण इस प्रकार किया जायेगा कि कम से कम 03 सत्र तक उसमें परिवर्तन नहीं हो। विद्यालय प्रशासन द्वारा वार्षिकोत्सव अथवा अन्य किसी आयोजन पर किसी भी प्रकार की वेशभूषा को विद्यार्थियों व पालकों को क्रय करने के लिए बाध्य नहीं किया जायेगा। जिन विषयों के संबंध में नियामक संस्था द्वारा कोई पुस्तक प्रकाशित/मुद्रित नहीं की गई हैं उस विषय से संबंधित किसी अन्य पुस्तक को अनुशंसित करने के पूर्व स्कूल संचालक सुनिश्चित करेंगे कि पुस्तक की पाठ्य सामग्री ऐसी आपत्तिजनक नहीं हो जिससे लोक प्रशांति भंग होने की संभावना हो।

      स्कूल संचालक जिस नियामक बोर्ड यथा सी.बी.एस.ई./आई.सी.एस.ई./माध्यमिक शिक्षा मण्डल से संबंद्ध है उस संस्था के द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम व पाठ्यक्रम के अन्तर्गत नियामक संस्था अथवा उसके द्वारा विधिक रूप से अधिकृत एजेंसी यथा- एनसीईआरटी पाठ्य पुस्तक निगम आदि के द्वारा प्रकाशित एवं मुद्रित पुस्तकों के अतिरिक्त अन्य प्रकाशकों मुद्रकों द्वारा प्रकाशित की जाने वाली पुस्तकों को विद्यालय में अध्यापन के लिए प्रतिबंधित करेंगे। इसके अतिरिक्त अन्य विषयों जैसे नैतिक शिक्षासामान्य ज्ञानकम्प्यूटर आदि की निजी प्रकाशकों व मुद्रकों द्वारा प्रकाशित पुस्तकें क्रय करने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।

     आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्तिसंस्था व आयोजक के विरूद्ध भारतीय दण्ड प्रक्रिया की धारा 188 के तहत कार्यवाही की जाएगी। वहीं विद्यालय द्वारा आदेश की अवहेलना करने पर शाला प्राचार्यसंचालक के साथ ही शाला प्रबंधक/बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के समस्त सदस्य दोषी होंगे।





Comments