कोरोना के समय संयुक्त परिवार का महत्व समझ मे आया-संयुक्त कलेक्टर श्रीमती जैन
पारिवारिक विवाद, मनमुटाव, विवाह विच्छेद सहित अन्य कारणों को लेकर हुई संगोष्ठी
खरगोन। रविवार को महिला सभा ने संस्था की संस्थापिका स्व. श्रीमती चंद्रकांता खोडे की 19वीं पुण्यतिथी के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्टि की विशेष अतिथी संयुक्त कलेक्टर शिराली जैन तथा मुख्य अतिथी के रूप में वरिष्ठ अभिभाषक खरगोन के देवेंद्र पाठक उपस्थित हुए। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य वर्तमान परिवार व्यवस्था हो समझाते हुए संवैधानिक नियमों, व आधुनिक युग में पारिवारिक सामंजस्य बनाए रखने संबंधी तथ्यों को जानना। साथ ही समाज में व्याप्त पारिवारिक विवाद, मनमुटाव, विवाह विच्छेद आदि कारणों को किस प्रकार दूर करना है इस विषय पर विस्तृत रूप से वक्ताओं ने विचार रखें। संस्था अध्यक्ष डॉ. अजय जैन ने बताया कि पूर्व समय में महिलाओं की स्थिति आज की तुलना में काफी पिछड़ी हुई थी। परंतु वर्तमान में परिवार व्यवस्था का आधुनिकीकरण होने से परिस्थितियों में बदलाव आए।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पाठक ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति में कुटुम्ब व्यवस्था का बहुत महत्व है। महिला मंडल व्यवस्था का मुख्य आधार है जो कि परिवार के सभी सदस्यों को आपस में जोड़ कर रखता हैै। साथ ही अपनी घरेलू जिम्मेदारियों के साथ-साथ बाहरी जिम्मेदारी का उचित प्रकार से निर्वहन करता है। पूर्व समय में महिलाओं की स्थिती को देखते हुए हर प्रकार से उनकी सुरक्षा के लिए कई कानून बनाये गए हैं। जो कि परिवार व समाज में महिलाओं की स्थिति को बदल सकें। वर्तमान स्थिति में महिलाओं द्वारा उनकी जिम्मेदारियों, परिवार व समाज में सामांजस्य ना होने के कारण उन कानूनों का दुरुपयोग भी हो रहा है।
नाटक प्रस्तुति में दिखाया समाधान
कार्यक्रम की अगली कड़ी में शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के विद्यार्थीयों के समूह द्वारा पारिवारिक विवाद व उनके समाधान विषय पर नाटक वा प्रस्तुतीकरण किया गया। नाटक में दिखाया गया कि किस प्रकार छोटी-छोटी बातें विवाद का कारण बनता है तथा परिवार परामर्श केन्द्र के माध्यम से इन विवादों को कैसे निपटाया जाता।
कार्यक्रम की विशेष अतिथी संयुक्त कलेक्टर श्रीमती जैन द्वारा परिवार व्यवस्था के आधुनिकीकरण व पश्चिमीकरण विषय पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति में परिवार व्यवस्था का आधुनिकीकरण व पश्चिमीकरण धीरे-धीरे होता जा रहा है। हम भारतीय परिवार व्यवस्था में पश्चिमी संस्कृति को अपनाते जा रहे है। पूर्व समय में संयुक्त परिवार को महत्व दिया जाता रहा है। जिससे परिवार व समाज में एकजुटता बनी रहें। साथ ही आने वाली पीढ़ी को अच्छे संस्कार मिलें व समाज तथा देश के हित में उनका उपयोग दिया जा सके। परंतु वर्तमान में आधुनिक समाज एकल परिवार को महत्व दे रहे हैं। जिससे कि परिवार विधान तेजी से बढ़ रहे हैं। पाश्चात्य संस्कृति में परिवार के सदस्य अपने काम व जिम्मेदारियों को अधिक महत्व दे रहे हैं, जिसमें परिवार में केवल पति-पत्नि का ही स्थान होता है। वे अपने परिवार को आगे बढ़ाने के बारे में भी विचार नहीं करते है। यह बात धीरे-धीरे भारतीय लोगों में भी अपनाई जा रही है जो कि भावी जीवन के लिये ठीक नहीं है। इन्हीं कारणों से महिलाएं भी घरेलू जिम्मेदारियां व बाहरी जिम्मदारीयों में सामंजस्य नहीं बैठा पाती है। कोविड-19 के समय पर ही एकल परिवार को संयुक्त परिवार का महत्व समझ में आया तथा संयुक्त परिवारों ने सदस्यों के साथ का भरपूर आनंद लिया।
कार्यक्रम की समाप्ति संस्था उपाध्यक्ष श्रीमती राजकुमारी कुमरावत व आभार वक्तव्य किया।कार्यक्रम में महिला चिकित्सक समस्त महिला अभिभाषक, रोटरी क्लब, लायंस क्लब, लायनेस क्लब, इनरव्हील क्लब के पदाधिकारी, खरगोन जिले के समस्त समाज की महिला प्रमुख, दांगी समाज गुजर समाज, दशोरा समाज, महाजन समाज, नार्मदीय ब्राम्हण समाज, गौड ब्राम्हण समाज, जैन समाज, सिख समाज, जायसवाल समाज व अन्य सभी समाज की महिला प्रमुख, स्वयं सेवी संस्थाओं की महिला पदाधिकारी, समाज सेवी महिलाओं, संस्था महिला सभा, खरगोन की समस्त सदस्यों सहित लगभग 200 सदस्य कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।
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