शिव विवाह में जमकर झूमे शिव भक्त

खरगोन। श्री शिव नव रात्री के मंगल पावन अवसर पर श्री महामृत्युंज धाम गांधी नगर में आयोजित श्री शिव महापुराण के चतुर्थ दिवस पूज्य व्यास गादी से पंडित श्री श्याम जी ने शिव-पार्वती विवाह का प्रसंग सुनाया। प्रसंग सुन श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए। इस दौरान शिव-पार्वती विवाह की झांकी भी सजाई गई। कथा व्यास ने कहा कि पर्वतराज हिमालय की घोर तपस्या के बाद माता जगदंबा प्रकट हुईं और उन्हें बेटी के रूप में उनके घर में अवतरित होने का वरदान दिया। इसके बाद माता पार्वती हिमालय के घर अवतरित हुईं। बेटी के बड़ी होने पर पर्वतराज को उनकी शादी की चिता सताने लगी। कहा कि माता पार्वती बचपन से ही बाबा भोलेनाथ की अनन्य भक्त थीं। एक दिन पर्वतराज के घर महर्षि नारद पधारे और उन्होंने भगवान भोलेनाथ के साथ पार्वती के विवाह का संयोग बताया। उन्होंने कहा कि नंदी पर सवार भोलेनाथ जब भूत-पिशाचों के साथ बारात लेकर पहुंचे तो उसे देखकर पर्वतराज और उनके परिजन अचंभित हो गए लेकिन माता पार्वती खुशी से भोलेनाथ को पति के रूप में स्वीकार कर लीं। 

विवाह प्रसंग के दौरान शिव-पार्वती की झांकी पर श्रद्धालुओं ने पुष्प बरसाए। शिव-पार्वती विवाह में हल्दी और मेहंदी के गीत पर श्रद्धालु झूमकर विवाह गीत गाने लगे। कथा विश्राम के बाद मुख्य मनोरथी श्री रामचंद्र जी चंद्रे और अन्य मनोरथीद्वय ने आरती कर प्रसाद वितरण के साथ पुण्यार्जन किया। उक्त जानकारी मंदिर समिति अध्यक्ष शंकरलाल गुप्ता ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी।

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