मेडिकल और सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्थाओं के बीच होंगे यूथ गेम्स

यूथ गेम्स के लिए तैयार हो रहा महेश्वर

कलेक्टर और एसपी ने आयोजन स्थल का लिया जायजा

खरगोन। खेलों इंडिया अंतर्गत महेश्वर स्थित सहस्त्रधारा में 6 और 7 फरवरी को वॉटर गेम्स में कैनो स्लेलॅम प्रतियोगिता आयोजित होना है। शुक्रवार को तैयारियों का जायजा लेने कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा और पुलिस अधीक्षक धर्मवीर सिंह पहुँचे। आयोजन स्थल पर तमाम व्यवस्थाओं का जायजा लेने के बाद कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा ने संबंधित विभागों के अधिकारियों को मेडिकल फैसिलिटी और सुरक्षा की दृष्टि से व्यापक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिये। आयोजन स्थल पर खिलाड़ियों के आवागमन के अलावा एम्बुलेंस हर समय मौजूद रहेगी। इसके अलावा कसरावद के निजी अस्पताल में सभी अत्यावश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया गया है। हालांकि आयोजन स्थल पर ही मेडिकल फैसिलिटी की व्यवस्था की गई है। एसपी धर्मवीर सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में मप्र से बाहर के खिलाड़ी भी आने वाले हैं। उनके लिए होटल्स पर भी पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। आयोजन स्थल पर इवेंट मैनेजर साईन पाल ने वीआईपी सिटिंग, तकनीकी अधिकारियों के लॉन्ज, इंडियन कैनोइंग एसोसिएशन के अधिकारियों के लॉन्ज, एथलेटिक्स लॉन्ज के अलावा एथलेटिक्स रेस्टिंग एरिया तथा मेडल सेरेमनी के चिन्हित स्थानों के बारे में अवगत कराया। इस दौरान एसडीएम अग्रिम कुमार, एसडीओपी मनोहर गवली, खेल अधिकारी श्रीमती पवि दुबे, साई के सहायक संचालक शिविन, तहसीलदार मुकेश बामनिया टीआई पंकज व कसरावद तहसीलदार रमेश सिसोदिया व सीएमओ मौजूद रहे। 

नर्मदा की अधिक गहराई में स्विमिंग और सहस्त्रधारा में पर्यटकों पर प्रतिबंध

एसडीएम कुमार ने दोनों अधिकारियों को जानकारी देते हुए बताया कि सुरक्षा के मद्देनजर अभी नर्मदा नदी की गहराई में स्विमिंग करने पर रोक लगाई गई है। जबकि सहस्त्रधारा पर दो दिनों के लिए पर्यटकों के आवागमन के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया गया है। इस संबंध में केवट समाज की नौका विहार समिति को निर्देशित किया गया है। इसके अलावा किसी खिलाड़ी को भी चेम्पियनशिप के दौरान पानी में तभी इंट्री मिलेगी जब कौच खिलाड़ियों को इंट्री देंगे। एसडीएम कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि नर्मदा रिट्रीट से सहस्त्रधारा तक पहुँचने के लिए 15 बोट्स की व्यवस्था की गई है।

5 फरवरी को जनपद स्तर पर होंगे आयुष मेले

रोगियों को स्वास्थ्य के प्रति किया जाएगा जागरूक

खरगोन। संत रविदास जयन्ती के अवसर पर जनपद स्तरों पर आयुष मेले आयोजित होंगे। आयुष अधिकारी डॉ. वासुदेव आसलकर ने बताया कि 5 फरवरी को सुबह 9ः30 बजे से सांय 4 बजे तक विकासखण्ड स्तरों पर आयुष मेले आयोजित होंगे। आयुष मेले गोगावां ब्लॉक में जनपद पंचायत कार्यालय परिसर शासकीय अस्पताल के सामने, महेश्वर में आशापुर साप्ताहिक हाट बाजार पानी की टंकी के पास, खरगोन में रामलीला चौक गंधावड रोड़ ऊन में, कसरावद में शासकीय अस्पताल परिसर में, सेगांव में मातेश्वरी जिनिंग ग्राउंड खरगोन रोड़ सेगांव में, भीकनगांव में मार्केट मैदान स स्टेंड के पास, भगवानपुरा में राजीव गॉंधी सभागृह परिसर में, झिरन्या में पुराना अस्पताल परिसर नया बस स्टेंड के पास तथा बड़वाह ब्लॉक में नगर पालिका परिसर बस स्टेंड के पास आयुष मेले आयोजित होंगे। आयुष मेले में माध्यम से आयुष विभाग द्वारा विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रम एवं स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता, आयुष पद्धति का प्रचार प्रसार व विभिन्न प्रकार के संचार असंचारी बीमारियों के रोकथाम के लिए स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता किया जाएगा। साथ ही बीमारी के प्रारम्भिक स्तर पर स्क्रीनिंग, दवाईयों की उपलब्धता के साथ टेली कन्स्ल्टेशन एप आयुष क्योर का प्रचार प्रसार कर जन जन तक पहुंचाया जाएगा।

औषधीय-सगंधीय पौधों की खेती

प्रसंस्करण और विपणन पर 5 दिवसीय प्रशिक्षण 13 फरवरी से

खरगोन। मध्य प्रदेश में औषधीय सगंधीय पौधों की खेती, प्रसंस्करण और विपणन संभावनाओं पर उद्यमिता विकास केंद्र मध्यप्रदेश (सेडमैप) द्वारा 05 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। यह प्रशिक्षण पूरी तरह से अरहवासी रहेगा, जो 13 से 17 फरवरी तक उद्यमिता भवन, 16-ए अरेरा हिल्स भोपाल में आयोजित किया जाएगा। इच्छुक व्यक्ति 10 फरवरी 2023 तक आवेदन कर सकते हैं। सेडमैप के वरिष्ठ प्रशिक्षक डॉ. वेद प्रकाश सिंह ने बताया कि जो भी व्यक्ति औषधीय सगंधीय पौधों की खेती, प्रसंस्करण और विपणन में रूचि रखते हैं वे इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सम्मिलित हो सकते हैं। प्रशिक्षण के इच्छुक व्यक्ति मोबाइल नंबर 9425386409ए 9479935845 या ईमेल pmuhead.cedmap@gmail.com पर सम्पर्क कर सकते हैं। प्रशिक्षण में सम्मिलित होने के लिए पूर्व पंजीयन कराया जाना आवश्यक है। पंजीयन फार्म सेडमैप की वेबसाइट http://www.cedmapindia.mp.gov.in पर उपलब्ध है।

प्रशिक्षण में प्रमुख औषधीय पौधे जैसे सफेद मूसली, सतावरी, अश्वगंधा, सर्पगंधा, कालमेघ आदि और सगंधीय पौधे जैसे मेन्था, लेमनग्रास, पामारोजा, सिट्रोनेला, गुलाब, जामा रोजा, गेंदा आदि के कृषिकरण तकनीक, प्रसंस्करण और मार्केटिंग पर मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा। 

उन्होंने बताया कि कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाने, कृषकों की आय और सामुदायिक स्वास्थ्य के स्तर में वृद्धि करने के उद्देश्य से औषधीय सगंधीय पौधों की खेती, प्रसंस्करण और विपणन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है, जिसमें वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद तथा भारतीय कृषि अनुसंधन परिषद और कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिक एवं विषय विशेषज्ञ प्रशिक्षण प्रदान करेंगे, इस दौरान एक दिवसीय फील्ड विजिट का आयोजन भी किया जाएगा।

प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य कृषकों के भीतर औषधीय एवं सगंधीय पौधों की वैज्ञानिक कृषिकरण तकनीक, प्रसंस्करण एवं विपणन के संदर्भ में जानकारी प्रदान करना है, जिससे वे इस प्रकार की कृषि को अपनाकर अपनी आमदनी को बढ़ा सकें तथा उनके पास उपलब्ध ऐसी भूमि जिसपर वे परंपरागत खेती करने में असमर्थ हैं, उनका भी विवेकपूर्ण उपयोग करते हुए ऐसी भूमि पर भी खेती कर लाभ कमा सकें, जैसे अनुपजाऊ भूमि, जलप्लावित भूमि, बंजर भूमि, छायादार भूमि, पड़ती भूमि आदि का उपयोग कर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। 

सेडमैप के वरिष्ठ प्रशिक्षक डॉ. वेद प्रकाश सिंह ने बताया कि औषधीय सगंधीय पौधों की खेती की कृषिकरण तकनीक, परंपरागत फसलों के कृषिकरण की तकनीक की तुलना में अधिक सरल है। औषधीय सगंधीय फसलों की बाजार में अच्छी मांग के कारण इन फसलों की खेती परंपरागत फसलों की तुलना में तुलनात्मक रूप से अधिक लाभकारी है। औषधीय सगंधीय पौधों की खेती, किसानों के पास पड़ी अनुपजाऊ भूमि, जलप्लावित भूमि, बंजर भूमि, छायादार भूमि, पड़ती भूमि पर भी की जा सकती है। 

औषधीय सगंधीय पौधों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम इसलिए भी आयोजित किया जा रहा है, क्योंकि इससे परंपरागत खेती की तुलना में प्रति एकड़ आमदनी अधिक हो सकती है। इन फसलों की बुवाई तथा कटाई-गहाई का समय परंपरागत फसलों की बुवाई, कटाई-गहाई से अलग होता है, परिणामस्वरूप ग्रामीण अंचल में सरलता से कृषि श्रमिकों की उपलब्ध सुलभ हो सकती है। 

 औषधीय सगंधीय फसलों के प्रसंस्करण से ग्रामीण क्षेत्र में अधिकाधिक रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। अधिकांश औषधीय फसलें किसी रोग-व्याधि के शमन के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। अतः इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होने के कारण रोग व्याधि से नुकसान की संभावनाएं भी अल्प होती हैं, सगंधीय फसलों में एक खास प्रकार की गंध होने के कारण आवारा मवेशियों के द्वारा नुकसान पहुंचाने की संभावना भी अल्प होती है तथा अन्य औषधीय फसलों को भी जानवर नहीं चरते हैं। इस कारण औषधीय एवं सगंध फसलों की खेती कृषकों के लिए अधिक लाभदायक है।

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