श्रवण भक्ति के बल से परमात्मा को पा सकते हो पंडित प्रदीप जी मिश्रा
शिव महापुराण आज 12 ज्योतिर्लिंग कथा के साथ होगा समापन
खरगोन। सनातन धर्म में कई तरह की भक्ति है, लेकिन श्रवण भक्ति में जो बल है वह किसी और भक्ति में नहीं। इस भक्ति के बल से परमात्मा को पाया जा सकता है। कई लोगों को कोरोना में लाखों रुपए की अटैची भरकर ले जाने के बाद भी पलंग नहीं मिला, उनकी पहचान, उनका धन, प्रतिष्ठा काम नहीं आए, जबकि कई लोगों के पुण्य, सद्कर्म आड़े आए और वह घर पर ही ठीक हो गए तो किसी को बीमारी छू भी नहीं पाई। जिस तरह चारो और पानी से घिरी नाव में यदि पानी भर जाए तो वह डूब जाती है, उसी तरह जीवन संसार रुपी नाव में यदि काम, वासना, छल, कपट, क्रोध, अहंकार समा जाए तो जीवन रुपी नैया डूबी ही समझो। भव सागर पार करना है तो संसार रुपी नैया के खिवैया केवल आपके पुण्यकर्म है। राम कृष्ण, ठाकुरजी, शिवजी, विष्णुजी, माताजी किसी भी रुप को पूजो, पर पुजो जरुर, किसी भी देवता का अपमान मत करो। उक्त उद्गार स्वर्गीय श्री जयप्रकाश पाठक स्मृति सेवा समिति द्वारा आयोजित श्रीवैष्णव शिवमहापुराण कथा के छठें दिन कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने भक्तों से पटे विशाल पांडाल में शिवमहापुराण कथा के दौरान व्यक्त किए।
धार्मिक अलमारी में रखने के नहीं
कथा के दौरान गीता जयंती की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि गीता, रामायण, शिवपुराण, विष्णुपुराण या घर में कोई भी धार्मिक गं्रथ हो उसकी कंकू, चावल, फल फूल आदि से पुजा करने से काम नहीं चलेगा, इन ग्रंथों का लाभ परिवार और समाज को तभी मिलेगा जब उसे पढ़ा जाएगा। धार्मिक ग्रंथ लाल पीले वस्त्र में बांधकर अलमारियों में रखने के लिए नहीं है।
प्रथम पूज्य देव बने श्रीगणेश
मंगलवार को गणेशजी के चरित्र का मनोहारी वर्णन श्रद्धालूओं को सुनाया। कुबेर का अहंकार तोड़कर भगवान गणेश प्रथम पूज्य कहलाए। कुबेरजी को अपने धन वैभव का बड़ा अहंकार था। समूचे देवगणों को भोज पर बुलाकर गणेशजी की उपस्थिति में वे सभी देवताओं को भोज नहीं करवा पाए न ही गणेशजी को भरपेट खिला सके। शिवजी से मिली दुर्वा के भोज के रुप में देने पर गणेशजी संतुष्ट हुए और कुबेर को अपने धन वैभव के अहंकार पर ग्लानि हुई। इसीलिए किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पूर्व भगवान गणेश का न सिर्फ पूजन किया जाता है, बल्कि उन्हें सपरिवार आमंत्रित भी किया जाता है। कथा के दौरान भगवान श्रीगणेश के रिद्धी सिद्धी के साथ हुए विवाह प्रसंग पर सुरमयी भजनों को सुन श्रद्धालू भावविभोर हो उठे।
जन्म लिया तो मृत्यू निश्चित है
जिस जीव ने जीवन पाया है, उसकी मृत्यू निश्चित है। त्रिपुरासुर का उद्धरण बताते हुए कहा कि भगवान कार्तिकेय द्वारा तारकासुर के वध के पश्चात उसके तीनों पुत्रों तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली ने देवताओं से बदला लेने के लिए हजारों वर्षो तक ब्रह्माजी की घोर तपस्या की और अमर होने का वरदान मांगा। ब्रह्माजी ने यह वरदान देने का मना कर सशर्त अमृत्व का वरदान दिया। तीनों ने खूब विचार कर ब्रह्माजी से वरदान मांगा, हे प्रभु! आप हमारे लिए तीन पुरियों का निर्माण कर दें और वे तीनों पुरियां जब अभिजित् नक्षत्र में एक पंक्ति में खड़ी हों और कोई क्रोध रहित, अत्यंत शांत अवस्था में, असंभव रथ और असंभव बाण का सहारा लेकर हमें मारना चाहे, तभी हमारी मृत्यु हो। ब्रह्माजी ने कहा तथास्तु! इन तीनों असुरों को ही त्रिपुरासुर कहा जाता था। इन तीनों भाइयों ने इन पुरियों में रहते हुए सातों लोको को आतंकित कर दिया। तब शिव ने अपने त्रिशुल से त्रिपुरासुर असुरों का संहार कर त्रिपुरारी की उपमा पाई।
आज होगा समापन
स्वर्गीय श्री जयप्रकाश पाठक स्मृति सेवा समिति के तुषार पाठक ने बताया 7 दिवसीय शिव महापुराण कथा को बुधवार विराम दिया जाएगा। खरगोन शहर की जनता एवं आयोजन में जुटे समिति के सदस्यों के सहयोग समर्पण और परिश्रम से यह पूरा आयोजन अपने लक्ष्य की ऊंचाईयों को छू पाया। बुधवार को 12 ज्योतिर्लिंग कथा के साथ इस आयोजन को विराम दिया जाएगा।
प्रवेश द्वार पर तिलक लगा कर स्वागत
विवेक जैन मित्र मंडल की ओर से प्रवेश द्वार पर कथा श्रवण के लिए पहुंचने वाले हर श्रद्धालु का चंदन तिलक कर स्वागत किया जा रहा है। कथा प्रारंभ के पहले दिन से ही इस चंदन वंदन के कार्य में 20 से अधिक युवक युवतियां जुटे हुए है जो प्रतिदिन आने वाले श्रद्धालूओं के कपाल पर ऊं एवं त्रिशुल की आकृति का चंदन तिलक कर रहे है।
दोनों दल के नेताओ ने संग की आरती
मंगलवार को पूर्व कृषि राज्यमंत्री बालकृष्ण पाटीदार, पूर्व विधायक बाबूलाल महाजन, पूर्व जिपं अध्यक्ष जगदीश पटेल, पूर्व विधायक रायसिंह राठौर, वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं लोकसभा प्रत्याशी रहे डॉ. गोविंद मुजाल्दा आदि भाजपा कांग्रेस नेताओं ने कथाश्रवण करने के साथ समापन पर आरती में सहभागिता की।
कथास्थल पर किया रक्तदान
कथा परिसर में चलित रक्तदान संग्रहण वाहन की व्यवस्था भी की गई है। जहां कथा श्रवण करने पहुंचे भक्तो ने जीवन में रक्तदान जैसे पुनीत कार्य का महत्व समझते हुए स्वैच्छा से रक्तदान भी किया। ब्लड बैंक के आरएस खांडे ने बताया वाहन पर पिछले दो दिनों में 21 लोगो ने रक्तदान किया है।
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