हर युग में अलग अलग परिस्थितियों में अवतार हुए हैं- सुनीता पाटीदार
खरगोन। जब-जब भी धरती पर असंतुलन होता है उसे संतुलित करने व सुरक्षित करने के लिए अवतार होते हैं । हर युग में अलग-अलग परिस्थिति के अनुसार अवतार हुए हैं। वर्तमान युग बुद्धि वादी युग है, और असुरता इस बार मानसिक विकृतियों के रूप में जनमानस के मन मस्तिष्क में घुस पड़ी है । दुर्बुद्धि ग्रस्त मानव को सन्मार्ग पर लाने के लिए प्रज्ञा का अवतार युग शक्ति गायत्री के रूप में हुआ है। जो निराकार सत्प्रेणा और सद्भावनाओं के रूप में होगा । यह बात पावन प्रज्ञा पुराण कथा के चतुर्थ दिवस के रात्रि कालीन सत्र में कथावाचक ब्रह्मवादिनी बहन सुनीता पाटीदार ने कही। आगे उन्होंने गुरुदेव का जीवन दर्शन बताते हुए कहा कि एक छोटे से गांव आँवलखेड़ा उत्तर प्रदेश में जन्म लेकर उन्होंने विश्व स्तरीय उच्च आध्यात्मिक सोपानो को प्राप्त किया। जो कि गायत्री मंत्र की साधना से ही संभव हुआ । उन्होंने 21वीं सदी उज्जवल भविष्य का नारा देते हुए 21वीं सदी नारी सदी घोषित की। जिसको हम आज मूर्तरूप लेते हुए देख रहे हैं। प्रज्ञा पुराण के अंतिम दिवस के प्रातः कालीन सत्र में पंच कुंडीय गायत्री महायज्ञ एवं संस्कार महोत्सव का आयोजन किया गया जिसमें 12 पुंसवन संस्कार 4 नामकरण संस्कार 2 अन्नप्राशन संस्कार 1 मुंडन संस्कार, 5 विद्यारंभ संस्कार 1 दीक्षा संस्कार, 1 जन्मदिन संस्कार, 1 विवाह दिवस संस्कार आदि के बाद महा पूर्णाहुति उपरांत सैकड़ों परिजनों ने अमृतासन किया। संस्कार कर्मकांड परिव्राजक रमेश पाटीदार व ब्रह्मवादिनी बहन अलका निगोले, भावना पगारे और मनीषा पाटीदार द्वारा करवाया गया । गायत्री परिवार की वरिष्ठ बहन श्रीमती सोना कुशवाह द्वारा आशीर्वचन दिए गए।
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