बिना चिकित्सीय योग्यता के चिकित्सीय व्यवसाय करने वाले डॉक्टर को 01 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 3000/-रूपये अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।

विदिशा (गंजबासौदा)। माननीय न्यायालय श्रीमान राकेष कुमार शर्मा न्यायिक मजिस्टे्ट प्रथम श्रेणी तहसील गंजबासौदा जिला विदिषा द्वारा बिना चिकित्सीय योग्यता के चिकित्सीय व्यवसाय करने वाले आरोपी सुरजन हलधर आयु- 53 वर्ष निवासीगणः- उदयपुर ग्रामीण थाना गंजबासौदा, जिला-विदिषा (म.प्र), को 01 वर्ष का सश्रम कारावास एवं कुल 3000/- रूपये अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। 

अभियोजन की घटना संक्षिप्त में इस प्रकार है  कि फरियादी डॉ0 सुधीर जेसानी ने थाना  प्रभारी बासौदा को एक आवेदन पत्र प्रकरण पंजीबद्ध करने बाबत् इस आषय का प्रस्तुत किया कि दिनांक 01.11.13 को ग्राम उदयपुर में मुरादपुर रोड पोस्ट ऑफिस के पास स्थित डॉ0 सुरजन हलधर के क्लीनिक का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उनके पास कोई भी चिकित्सीय योग्यता नहीं थी। साथ ही एलापैथिक पद्वति से इलाज करते पाये गये इनके पास बहुत सी एलोपैथिक दवाईयां एवं आई वा फलूड रखे पाये गये। अतः संबंधित पर नियमानुसार अपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध करने हेतु उक्त आवेदन पत्र पेष किया है। उक्त आवेदन पत्र पर से आरोपी सुरजन के विरूद्ध आरक्षी केन्द्र बासौदा द्वारा अपराध क्रमांक 716/13 धारा मध्य प्रदेष राज्य आर्युविज्ञान परिषद एक्ट 1956-1958 पर प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखबद्ध कर मामले को विवेचना में लिया गया। 

आरोपी के द्वारा बिना चिकित्सीय योग्यता को चिकित्सीय व्यवसाय किया गया है। वर्तमान में इस प्रकार के अपराध की प्रवृत्ति बढत्रती जा रही है जिससे आम जीवन पर गंभीर संकट उत्पन्न हो जाता है, जो निष्चित रूप से गंभीर अपराध है ऐसे में आरोपी को इस न्यायालय की राय में कठोर से कठोर दण्ड दिया जाना न्यायसंगत प्रतीत होता है। 

न्यायालय में विचारण उपरांत आरोपी को निर्णय दिनांक 29.11.2021 माननीय न्यायालय श्रीमान राकेष कुमार शर्मा न्यायिक मजिस्टे्ट प्रथम श्रेणी तहसील गंजबासौदा जिला विदिषा के द्वारा दोषसिंद्ध पाये जाने पर आरोपी सुरजन हलधर को धाराः-मध्यप्रदेष राज्य आर्युविज्ञान परिषद एक्ट 1987 की धारा 24 के तहत दण्डनीय अपराध में 01 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 3000/- रूपये का अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। उक्त प्रकरण की पैरवी श्री गोंविद दास आर्य एडीपीओ गंजबासौदा के द्वारा की गयी।

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