बाजार में बिकने लगे रंग-बिरंगे करवे

महिलाएं कर रही खरीदी

खरगोन। प्यार व भरोसे के पर्व करवा चौथ के व्रत का महत्व अधिक बढ़ गया है। रविवार को कई महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए निराहार रहकर इस व्रत को रखेंगी। रात में चंद्रमा का पूजन-अर्चन व दर्शन कर पति के हाथों जल ग्रहण कर व्रत खोला जाएगा। इसे लेकर बाजार में महिलाओं द्वारा रंग-बिरंगे करवों के साथ सुहागन श्रृंगार सामग्री की खरीदारी शुरू कर दी गई है। पूरे वर्षभर सुहागिन महिलाएं करवा चौथ पर्व का बेसब्री से इंतजार करती हैं, क्योंकि इस व्रत का अधिक महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन होता है। पति की दीर्घायु एवं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए महिलाओं द्वारा रात्रि में पूजा-अर्चना की जाती है। मिट्टी या किसी अन्य धातु के करवे में जल भरकर महिलाएं एकत्रित होकर आपस में कहानियां व पोथी सुनती हैं। पूरे दिन उपवास रखकर रात्रि में चंद्रमा और पति का चेहरा छलनी में देखकर पति के हाथों से जल ग्रहण करती हैं। अलग-अलग परिवार में अलग-अलग ढंग से इस व्रत को विधिविधान से मनाया जाता है, तो कहीं महिलाएं निराहार रहकर चंद्रमा की प्रतीक्षा करती हैं। इसके बाद चंद्रमा का पूजन-अर्चन कर व्रत खोला जाता है। इस पर्व को अभी दो दिन शेष है। त्योहार के करीब आते ही प्रजापत समाज के लोगों द्वारा नई-नई डिजाइन में आकर्षक करवे बनाकर बिक्री के लिए बाजार में लाए जा रहे हैं। इस वर्ष करवा चौथ पर्व को लेकर बाजार में मिट्टी के सजे हुए रंग-बिरंगे करवों की अच्छी बिक्री हो रही है। अधिकांश महिलाएं रंग-बिरंगे करवों की खरीदी कर रही हैं। करवों के विक्रेता नारायण प्रजापत व जितेंद्र प्रजापत ने बताया कि अपने हाथों से रंगबिरंगे करवे बनाकर और नगीना से सजाकर बिक्री की जा रही है, जिनकी कीमत 15 से 40 रुपये तक है।



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