खस्ताहाल सरकारी सेवाओं के बीच कोरोना मरीज लाचार
खरगोन। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में प्रशासन हर तरीके से अब समर्पण की मुद्रा में आ चुका है। एक तरफ जहां निजी अस्पतालों में बेड भर चुके हैं, मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा है। वहीं, प्रशासन की तरफ से जारी किए गए हेल्पलाइन नंबर पर कभी भी संपर्क नहीं होता है। कोरोना संबंधी पूछताछ व अन्य सेवाओं के लिए जो हेल्पलाइन नंबर जारी किये गये है। इन नंबरो पर सुबह से शाम हो जाती है लेकिन कोई जवाब ही नहीं मिलता। मरीजों के परिजनों के सामने इलाज की भारी समस्या खड़ी हो गई है। वहीं, अब अस्पतालों में ऑक्सीजन की भी किल्लत होने लगी है। कोरोना के कहर से चारों ओर अफरा-तफरी मची है,
पिछले कुछ दिनों से लोग अपने परिवार के संक्रमित सदस्यों को लेकर उन्हें भर्ती करने के लिए अस्पताल के चक्कर काटते नजर आ रहे है, लेकिन उन्हें सफलता हाथ नहीं लग रही है। कहीं बेड नहीं मिल रहे हैं तो कहीं अस्पताल के बाहर मरीजों की मौत हो रही है। कोरोना की दूसरी लहर बहुत ही खतरनाक साबित हो रही है। जिले के अधिकांश डॉक्टर्स, स्वास्थ्य प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने अब किसी का फोन उठाना ही बंद कर दिया है.यही हाल जिले के जनप्रतिनिधियों का भी हैं कोई किसीके काम नहीं आ रहा है।
सांसें अटकीं और पल-पल भारी
ऐसे संकट में भी फोन नहीं उठा रहे 'माननीय'
कोरोना कहर बरपा रहा है। संसाधनों के अभाव में मरीजों की सांसें अटक रही हैं और उनके अपने बेबस हो रहे हैं। इन हालात में मदद की उम्मीद लिए कई लोग अपने जनप्रतिनिधियों और विधायकों को फोन लगा रहे हैं लेकिन 'माननीय' फोन ही नहीं उठा रहे। बेहाल लोग अपनों की मदद के लिए हर उस व्यक्ति को फोन लगा रहे हैं, जहां से उसे मदद मिल सकती है। लोग ऑक्सीजन, रेमडेसिविर इंजेक्शन, आईसीयू, ऑक्सीजन वाले पलंग आदि के लिए जूझ रहे हैं। ऐसे में उन्हें जन प्रतिनिधियों की जरूरत है लेकिन उनका दर्द दूर करने आगे आना तो दूर, फोन तक नहीं उठा रहे। जबकि इन दिनों लोग राज्यमंत्री,विधायकों,सांसदो को चिकित्सा सुविधा के अलावा किसी कार्य के लिए फोन नहीं कर रहे।
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