मारपीट करने वाले आरोपियों को न्यायालय उठने तक की सजा और जुर्माना से दंडित किया

विदिशा। श्रीमान वीरेन्द्र वर्मा न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी कुरवाई न्यायालय द्वारा फरियादी के साथ मारपीट करने वाले आरोपीगण वीरन और कृष्ण गोपाल निवासीगण नवकूंड को न्यायालय उठने तक की सजा और 300-300 रूपए अर्थदण्ड से दंडित किया।

 सहायक जिला लोक अभियेाजन अधिकारी श्री सतीश गौतम ने बताया कि घटना दिनांक 07/11/2015 को करीब सुबह 8 बजे के बाद फरियादी अपने खेत के बाहर कुटिया बना रही थी इतने में आरोपीगण आये और फरियादी को कुटिया बनाने से रोकने लगा और फरियादी को अश्लील गालियां देने लगे। फरियादी ने जब आरोपीगण से ऐंसा करने से मना किया तो आरोपीगण ने फरियादी के साथ मारपीट की। चिल्लाचोंट की आवाज सुनकर फरियादी का लड़का भी घटना स्थल पर आ गया तो आरोपीगण ने उसके बेटे के साथ भी मारपीट की। घटना की रिपोर्ट फरियादी ने कुरवाई थाने में लेख कराई। पुलिस ने आरोपीगण के विरूद्ध धारा 294, 323, 506, 34 के तहत मामला पंजीबद्ध किया।

विचारण के दौरान अभियोजन के द्वारा साक्षियों का न्यायालय के समक्ष परीक्षण कराया गया तथा अभियोजन द्वारा जो साक्ष्य प्रस्तुत प्रस्तुत किये गये उससे सहमत होकर माननीय न्यायालय द्वारा आरोपीगण को न्यायालय उठने तक की सजा एवं 300-300/-रूपयेे अर्थदंड की सजा सुनाई। शासन की ओर से पैरवी सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी सतीश गौतम ने की।

न्यायालय द्वारा सुपुर्दगी आवेदन निरस्त किया गया

विदिशा। माननीय न्यायालय श्रीमान् देवेन्द्र सोलंकी जेएमएफसी तहसील लटेरी जिला विदिशा द्वारा धारा 39, 9 एवं 51 वन्य जीव संरक्षण अधिनियम में जप्त किया गया वाहन क्रमांक एम पी 04 एम एस 3088 की सुपुर्दगी के लिए आवेदन वाहन मालिक असलम खां पुत्र अहमद सईद खां निवासी ग्राम झूजलाखेडा तहसील लटेरी के द्वारा लगाया गया था जिसे माननीय न्यायालय ने निरस्त कर दिया। उक्त प्रकरण में पैरवी श्री हरिराम कुशवाह सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी के द्वारा की गई।

 सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री हरिराम कुशवाह ने घटना के संबंध में बताया कि, घटना दिनांक 19.12.2020 को वन परिक्षेत्र लटेरी दक्षिण रेंज के अंतर्गत धीरगढ़ वीट में संरक्षित वन्य प्राणी मोर का शिकार किया गया था। जिसमें वन परिक्षेत्र लटेरी द्वारा वाहन क्रमांक एम.पी 04 एम.एस 3088 को जप्त किया गया था। प्रकरण में जप्त वाहन की सुपुर्दगी हेतु आवेदन माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया था जिसका विरोध शासन की ओर से एडीपीओ हरिराम कुशवाह द्वारा किया गया था। शासन की ओर से पैरवी सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री हरिराम कुशवाह के द्वारा की गई।

  

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