नवल के जन्म के एक माह के बाद से दादा के हाथों में है परवरिश

खरगोन। शहर स्थित दामखेड़ा कॉलोनी के अजजा परिवार में 31 दिसंबर 2019 को बेटे का जन्म हुआ। जन्म देने के एक माह बाद ही मां सुरली चल बसी और पिता दीतासिंह की ऐसी हालात भी नहीं कि अपने एक माह के पुत्र को गोद में लेकर लाड़ कर सके। पिता दीतासिंह दोनों पैरों से लाचार है, चलना तो दूर अपने दैनिक कार्य भी करना उनके लिए आसान नहीं। कुदरत की ऐसी अनहोनी परिस्थिति के बीच 70 वर्षीय बुजुर्ग दादा तीखिया के हाथों में नवल की परवरिश का जिम्मा आया। तीखिया मजदूरी और बकरी पालन कर अपना जीवन निर्वाह कर रहे है। तीखिया अपनी इस जिम्मेदारी को अनुभव के बगैर निभाते रहे। जन्म से ही नवल वजन इतना अच्छा नहीं था। इसलिए वजन निरंतर गिरता गया। इधर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता रीना पाटीदार नवल के गिरते वजन को लेकर चिंता के साथ रोजाना दादा को एनआरसी में भर्ती करने के लिए समझाती रहीं। छोटे से बच्चे को इस बीच दस्त और स्कीन एलर्जी की शिकायत भी हो गई। आखिरकार आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने दादा को डरा धमकाकर बेटे को 10 सितंबर 2020 को जिला अस्पताल स्थित एनआरसी केंद्र में भर्ती कराया।

रेडी-टू-इट पोषण आहार से स्थिति में हुआ सुधार

आंगनवाड़ी कार्यकर्ता रीना पाटीदार बताती है कि 6 माह के बाद से नवल को स्कीन एलर्जी के कारण पीठ पर फुंसिया उभरने लगी। फुंसिया देखकर दादा नवल को पूरी तरह कपड़े ढ़क्कर रखते रहे। उनके इस अंजान कदम से नवल को ओर अधिक एलर्जी होने लगी। पूरी तरह पीठ कर फुंसिया पक जाने के कारण नल बिल्कुल भी नहीं सो पाता था। इन सारी समस्याओं से आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को झखझोर दिया। 10 सितंबर को एनआरसी केंद्र में भर्ती कराने के बाद 5 दिनों तक पोषण और स्कीन का निरंतर उपचार चलता रहा। कार्यकर्ता ने दादा को बच्चे पालने का हुनर भी सिखाती रही और आज पीठ से फुंसिया भी ठीक हुई तथा नवल के वजन में भी बढ़ोत्तरी हो गई। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने दादा को रेडी-टू-इट रोजाना देने के लिए हमेशा प्रेरित कर रही है। लिहाजा वजन में भी सुधार होने लगा है। बहरहाल एनआरसी केंद्र और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिक शहनाज खान की सुझ-बुझ काम आई। आज नवल का वजन 5 किलों से अधिक है और अब वो स्वस्थ होकर चैन की नींद ले पा रहा है।

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