खनिज माफियाओं की अब खैर नहीं, जुर्माने से नहीं चलेगा काम जाना होगा जेल

खरगोन। एक समाचार पत्र में प्रकाशित समाचार के आधार पर स्वत: संज्ञान लेते हुए न्यायिक मजिस्ट्रे्ट मंदसौर ने खनिज अधिकारी मंदसौर से अप्रैल 2019 से अक्‍टूबर 2019 तक खनिज के अवैध उत्खनन व परिवहन वगैरह के संबंध में पंजीबद्ध प्रकरणों की जानकारी चाही थी तब खनिज अधिकारी मंदसौर द्वारा उक्त समयावधि में 190 प्रकरण पंजीबद्ध होने व उक्त सभी प्रकरणों में शमन शुल्क पश्चात अंतिम रूप से प्रकरणों के निराकरण बाबद जानकारी दी थी तब संबंधित न्यायिक मजिस्ट्रेेट मंदसौर द्वारा दिनांक 23.10.2019 को उपरोक्त प्रकरणों में धारा 379, 414 भादवि एवं भिन्न–भिन्न खनिज अधिनियमों एवं नियमों के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीबद्ध कर अनुसंधान रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु पुलिस को धारा 156(3) दप्रसं के तहत निर्देशित किया था जिससे व्यथित होकर याचिकाकर्ताओं ने धारा 482 दप्रसं के तहत उपरोक्त पंजीबद्ध अपराधों को समान प्रकार के अपराधों हेतु दोबारा दण्डित करने को आधार बनाते हुए दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट को क्वैश करने बाबद याचिका माननीय उच्च न्यायालय खण्डपीठ इंदौर के समक्ष दायर की थी जिसे माननीय उच्च न्यायालय खण्डपीठ इंदौर द्वारा दिनांक 11.05.2020 को निरस्‍त कर न्यायिक मजिस्ट्रेट मंदसौर द्वारा पारित आदेश की पुष्टि की थी और म.प्र. के सभी जिलों के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को निर्देशित किया था कि आप उपरोक्त खनिज के प्रकरणों की जानकारी आहुत कर कार्यवाही में अवैधता पाये जाने पर दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध कार्यवाही करे। माननीय उच्च न्यायालय खण्डपीठ इंदौर के आदेश दिनांक 23.10.19 के विरूद्ध माननीय उच्चतम न्यायालय के समक्ष याचिका प्रस्तुत की गई थी तब माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा भी अपने आदेश दिनांक 03.12.2020 द्वारा आदेश पारित किया गया था कि उक्त समान प्रकृति के खनिज अपराध के संबंध में पुलिस को न्या‍यिक मजिस्ट्रेट धारा 156(3) दप्रसं के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीबद्ध कर अनुसंधान करने हेतु आदेशित कर सकता है और पुलिस द्वारा धारा 379, 414 भादवि के तहत प्रस्तुत अभियोग पत्र पर बिना परिवाद के भी न्यायिक मजिस्ट्रेट संज्ञान लेकर अपराध का विचारण कर सकता है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट खरगोन द्वारा खनिज अधिकारी से खनिज के अवैध उत्खनन, परिवहन एवं भण्डारण से संबंधित पंजीबद्ध प्रकरणों एवं तत्संबंध में की गई कार्यवाही की रिपोर्ट आहुत की गई तब खनिज अधिकारी द्वारा लगभग 60 प्रकरणों में खनिज विभाग द्वारा अपराध पंजीबद्ध कर शमन शुल्क जमा कराये जाने बाबद जानकारी दी गई। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट खरगोन द्वारा शमन शुल्क वसूल कर निराकृत प्रकरण के संबंध में प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीबद्ध कर अनुसंधान कर न्यायालय में रिपोर्ट प्रस्तुत करने बाबद पुलिस विभाग को निर्देशित किया गया।

 माननीय उच्च्तम न्यायालय एवं माननीय उच्च न्यायालय के उपरोक्त मार्गदर्शक आदेश से खनिजों के अवैध उत्खनन, परिवहन एवं भण्डारण पर दोषियों के विरूद्ध विधि अनुसार विचारण का रास्ता साफ हो गया है और आरोपी मात्र जुर्माना/शमन शुल्क जमा कर अपने विधिक आपराधिक दायित्व से नहीं बच सकता।   

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