कक्षा 9वीं से 12वीं तक की कक्षाओं के संचालन के दिशा-निर्देश जारी

खरगोन। स्कूल शिक्षा विभाग ने शिक्षण सत्र 2020-21 के लिए शासकीय एवं अशासकीय विद्यालयों के प्रारंभ एवं संचालन के दिशा-निर्देश जारी कर दिए है। स्कूल शिक्षा विभाग के उप सचिव प्रमोद सिंह ने जिला कलेक्टर्स, जिला शिक्षा अधिकारी एवं सहायक आयुक्त आदिवासी विकास को निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि यह निर्देश कोविड-19 संक्रमण को दृष्टिगत रखते हुए भारत सरकार के गृह मंत्रालय की गाईडलाईन के अनुक्रम में जारी किए हैं। जारी निर्देशानुसार बोर्ड की परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए कक्षा 10वीं व 12वीं की कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए स्कूल नियमित रूप से पूरे निर्धारित समय तक के लिए संचालित रहेंगे। कक्षा 9वीं एवं 11वीं के लिए विद्यार्थियों की दर्ज संख्या एवं उपलब्ध अध्यापन कक्ष के आधार पर प्राचार्य द्वारा स्थानीय स्तर पर कक्षाओं के संचालन के संबंध में निर्णय लिया जा सकेगा। विद्यालय में विद्यार्थियों की उपस्थिति माता-पिता, अभिभावकों की सहमति पर निर्भर होगी। माता-पिता, अभिभावकों द्वारा एक बार दी गई सहमति पूरे सत्र के लिए मान्य होगी। जारी निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि विद्यालय में विद्यार्थियों की उपस्थिति अनिवार्य नहीं होगी, जो विद्यार्थी विद्यालय की अपेक्षा ऑनलाईन कक्षाओं के माध्यम से पढ़ना चाहते हैं उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी जाएगी।

आवासीय विद्यालय खोजे जा सकेंगे डे-स्कूल के रूप में

उप सचिव श्री सिंह ने कहा कि आवासीय विद्यालय डे-स्कूल के रूप में खोले जा सकेंगे। विद्यालयों द्वारा उपलब्ध कराई जा रही परिवहन सुविधा में वाहनों में समुचित भौतिक दूरी सुनिश्चित की जाएगी और वाहनों को एक प्रतिशत सोडियम हाइपोक्लोराईट से समय-समय पर सैनिटाईज किया जाएगा। प्रदेश के सभी शासकीय स्कूलों में शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक स्टॉफ की उपस्थिति शत-प्रतिशत होगी। विद्यालय में प्रार्थना, सामूहिक गतिविधियां, खेलकूद, स्विमिंग पूल आदि गतिविधियां प्रतिबंधित रहेंगी। किसी भी स्थिति में विद्यार्थी एक स्थान पर एकत्रित न हों इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा समय-समय पर जारी किए गए स्वास्थ्य एवं सुरक्षा संबंधी एसओपी/गाईडलाईन का पालन करना अनिवार्य होगा।

जिले की 376 शालाएं एक परिसर-एक शाला के रूप में होगी संचालित

89 आदिवासी विकासखंडों की शालाएं एक परिसर-एक शाला के रूप में होंगी संचालित

खरगोन। आदिम जाति कल्याण विभाग ने 20 जिलों के 89 आदिवासी विकासखंडों में एक ही परिसर में विभिन्न स्तर की संचालित शालाओं को राज्य शासन के “एक परिसर-एक शाला“ के अनुरूप संचालित किए जाने का निर्णय लिया है। इस निर्णय से एक ही परिसर में स्थित विभिन्न विद्यालयों में उपलब्ध मानवीय एवं भौतिक संसाधनों का सुव्यवस्थित तरीके से उपयोग हो सकेगा। साथ ही निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम (आरटीई) का क्रियान्वन बेहतर तरीके से हो सकेगा। इस संबंध में आदिम जाति कल्याण विभाग ने दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। जारी निर्देशों में कहा गया है कि एक ही परिसर में संचालित एक से अधिक प्राथमिक व माध्यमिक शालाओं का एक ही शाला के रूप में, एक से अधिक आश्रम शालाओं की प्राथमिक अथवा माध्यमिक शालाओं का कक्षा पहली से 8वीं तक एक ही शाला के रूप में तथा एक ही परिसर में संचालित एक से अधिक प्राथमिक अथवा माध्यमिक शालाओं का कक्षा पहली से 8वीं तक की एक ही शाला के रूप में संचालन होगा।

इन कक्षाओं का भी होगा एक ही शाला के रूप में संचालन

जारी आदेशानुसार एक ही परिसर में संचालित प्राथमिक, माध्यमिक अथवा हाईस्कूल शालाएं कक्षा पहली से 12वीं तक की एक ही शाला के रूप में तथा एक ही परिसर में संचालित एक से अधिक हाईस्कूल एवं हायर सेकेंडरी शालाओं का एक ही शाला के रूप में संचालन किया जाएगा। प्रदेश के 20 आदिवासी जिलों के 89 विकासखंडों में 150 मीटर की परिधि में एक ही परिसर में शामिल आश्रम शाला, प्राथमिक, माध्यमिक, हाईस्कूल अथवा हायर सेकेंडरी शालाओं की कुल संख्या 10 हजार 506 है। इन्हें एकीकृत करने के बाद 4 हजार 746 नवीन एकीकृत परिसर गठित होंगे। निर्देशों में कहा गया है कि एक परिसर में संचालित विभिन्न स्तर की शालाओं के एकीकरण के बाद एकीकृत शाला का नाम वरिष्ठ स्तर की शाला के नाम से जाना जाएगा।

जिले के इन 7 विकासखंडों की शालाएं है शामिल

आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त जेएस डामोर ने बताया कि एक परिसर -एक शाला के रूप में जिले की 7 विकासखंडों की 376 शालाएं शामिल है। इनमें भगवानपुरा विकासखंड की 66, झिरन्या की 63, महेश्वर की 58, भीकनगांव की 56, खरगोन की 52, सेगांव की 46 व गोगावां की 35 स्कूलें शामिल है। श्री डामोर ने कहा कि एक परिसर -एक शाला होने से सभी का डायस कोड एक ही रहेगा। ऐसा करने से बुनियादी सुविधाएं उचित रूप से इस्तेमाल हो सकेगी। वहीं आगामी समय में एप्रोच रोड़ सहित अन्य सुविधाएं एक ही परिसर में उपलब्ध हो सकेगी।

जिला स्तरीय समिति का होगा गठन

एक परिसर-एक शाला के क्रियान्वन के लिए जिला स्तरीय समिति गठित की जाएगी। इस समिति में जिला कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ, डाईट प्राचार्य, जिला परियोजना समन्वयक एवं आदिम जाति कल्याण विभाग के जिला संयोजक शामिल होंगे। समिति के सचिव आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त होंगे। प्रदेश में एक परिसर-एक शाला को संचालित करने का दायित्व संबंधित जिले के सहायक आयुक्त को सौंपा गया है।

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