ग्रामीण नल-जल प्रदाय के लिए इंदौर संभाग में 580 योजनाएं मंजूर

खरगोन जिले की 24 जल संरचनाएं है शामिल

खरगोन। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा इंदौर संभाग के इंदौर, धार, झाबुआ, अलीराजपुर, खरगोन, बड़वानी, खंडवा तथा बुरहानपुर जिले में 580 ग्रामीण नल-जल प्रदाय योजनाओ के लिए 590 करोड़ 84 लाख 97 हजार रूपए की स्वीकृति दी गई है। विभाग के मैदानी अमले द्वारा जल-जीवन मिशन के मापदंडों के अनुसार प्रक्रिया प्रारंभ भी की जा रही है। प्रदेश की ग्रामीण आबादी शुद्ध पेयजल के लिए परेशान न हो इसके लिए सरकारी प्रयास तेजी से जारी हैं। जहां जलस्त्रोत हैं, वहां उनका समुचित उपयोग कर आसपास के ग्रामीण रहवासियों को पेयजल प्रदाय किया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां जलस्त्रोत नहीं हैं वहां यह निर्मित किए जाएंगे। कोई भी ग्रामीण रहवासी पेयजल के लिए परेशान नहीं हो यह व्यवस्था चरणबद्ध तरीके से अगले तीन साल (वर्ष 2023 तक) में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। राष्ट्रीय जल-जीवन मिशन के अंतर्गत समग्र ग्रामीण आबादी को घरेलू नल कनेक्शन से पेयजल की आपूर्ति किए जाने के लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा जल संरचनाओं की स्थापना एवं विस्तार के कार्य किए जा रहे हैं। इनमें इंदौर जिले की 156, धार जिले की 180, खरगोन जिले की 24, झाबुआ जिले की 34, बड़वानी जिले की 80, अलीराजपुर जिले की 15, खंडवा जिले की 82 तथा बुरहानपुर जिले की 9 जल संरचनाएं शामिल हैं। इन जिलों के लिए नवीन योजनाओं के साथ ही विभिन्न ग्रामों में पूर्व से निर्मित पेयजल अधोसंरचनाओं को नए सिरे से तैयार कर रेट्रोफिटिंग के अंतर्गत कार्य किया जा रहा है।

विश्व एंटीबायोटिक अवेयरनेस सप्ताह के अंतर्गत आयोजित किया प्रशिक्षण

पूरे विश्व में एंटीमाईक्रोबियल प्रतिरोध के कारण 7 लाख मौते होती है प्रतिवर्ष

खरगोन। विश्व एंटीबायोटिक अवेयरनेस सप्ताह के अंतर्गत सोमवार को जिला अस्पताल के पुराने मीटिंग हाल में सिविल सर्जन डॉ. राजेंद्र जोशी ने सभी डॉक्टर्स को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण देते हुए उन्होंने कहा कि एंटीबायोटिक प्रतिरोध जलवायु परिवर्तन की तरह ही गंभीर समस्या के रूप में तेजी से उभर रहा है। एंटीबायोटिक दवाएं जब रोगाणुओं पर बेअसर हो जाती है उस स्थिति में रोगाणुओं को खत्म करना मुश्किल हो जाता है। इसका मुख्य कारण एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक उपयोग एक साथ कई एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन, एंटीबायोटिक दवाओं का निर्धारित मात्रा में कम डोज या कम दिन तक सेवन अनावश्यक एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग। इसके अतिरिक्त पशुओं व कृषि के क्षेत्र में भी एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, जिसके कारण एंटीबायोटिक दवाएं बेअसर होती जा रही है। सिविल सर्जन डॉ. जोशी ने कहा कि डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में पूरे विश्व में एंटीमाईक्रोबियल प्रतिरोध के कारण 7 लाख मौते प्रतिवर्ष होती है। यदि इस दिशा में यदि कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो वर्ष 2050 में यह आंकड़ा 1 करोड़ प्रति वर्ष पहुंच सकता है। भविष्य में परिलक्षित होने वाले गंभीर परिणामों को देखते हुए मप्र स्वास्थ्य विभाग द्वारा विगत दो वर्षों से सतत् प्रयास किए जा रहे है, जिसके परिणाम स्वरूप विभाग द्वारा वर्ष 2018 में एंटीबायोटिक पॉलिसी का निर्माण किया गया। इस पॉलिसी को स्वास्थ्य विभाग एवं एम्स भोपाल के संयुक्त प्रयासों से विकसित किया गया है।

राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह का हुआ शुभारंभ

खरगोन। 23 नवंबर से 29 नवंबर तक राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह मनाया जा रहा है। जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. संजय भट्ट ने बताया कि इस अभियान का मुख्य उद्वेश्य नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाना ही शासन का एक प्रमुख लक्ष्य हैं। समस्त स्वास्थ्य संस्थाओ एवं समुदाय स्तर पर नवजात की देखभाल की गुणवत्ता में सुधार तथा समानता और गरिमा सुनिश्चित करना हैं, जिससे नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सके। सोमवार को जिला चिकित्सालय में राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह का शुभारंभ किया गया। इस दौरान एलएचवी लक्ष्मी शर्मा एवं सुपरवाईजर कनोज ने जिला चिकित्सालय के एनआरसी और एसएनच्यू में जाकर बच्चों के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्राप्त की।

संक्रमण से बचने के लिए प्रेरित करने लगे है आम नागरिक

खरगोन। यह सच है कि कोरोना वायरस ने हर नागरिक को सोचने पर मजबुर कर दिया है। इन दिनों कोरोना का संक्रमण और डर दोनों ही बढ़ने लगे है। *साथ ही अब शादियों का दौर भी शुरू हो गया है।* इसी दिशा में कई नागरिक विवाह पत्रिकाओं के माध्यम से भी जन जागरूकता का संदेश देने लगे है। इसी सिलसिले में जोशी परिवार में भी शादी का समारोह आयोजित होना है। जोशी परिवार के सदस्य दीप जोशी ने विवाह पत्रिका में मास्क की महत्ता को समझते हुए “दो गज की दुरी मास्क है जरूरी“ का संदेश प्रकाशित कराया है। साथ ही उन्होंने रविवार को आयोजित हुई बैठक में कलेक्टर के समक्ष यह प्रस्ताव भी रखा कि ओम शांति सेवा संस्थान द्वारा देवउठनी एकादशी से एक जनजागृति रथ प्रारंभ होगा, जो नगर में भ्रमण कर गार्डन व धर्मशालाओं के आसपास विवाह स्थलों पर ऑडियों के माध्यम से संदेश भी देगा।


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