शिक्षकों, छात्रों व गांव वालों ने मिलकर बनाया आदर्श विद्यालय


खरगोन। नर्मदा किनारे बसे 2 हजार जनसंख्या वाले गांव बकावां के माध्यमिक विद्यालय स्कूल की पहचान ऐसी है कि यहां प्रायवेट विद्यालयों के विद्यार्थी भी पढ़ना अपना सौभाग्य समझते है। यह माध्यमिक विद्यालय ग्रामीण, शिक्षकों व विद्यार्थियों की मेहनत का परिणाम है, जो अन्य स्कूलों से अलग करता है। यहां विद्यार्थियों में अनुशासन गांव वालों के लिए मिसाल है। वहीं 6 स्टॉफ वाले स्कूल में शिक्षकों ने जो निर्धारित कर लिया, वो पत्थर की लकीर के तरह माना जाता है, जिसका सभी 100 प्रतिशत योगदान देते हुए कार्य करते है। एक ऐसा ही निर्णय करीब तीन वर्ष पूर्व स्टॉफ ने निर्णय लिया था कि प्रायवेट स्कूलों की तरह हमारे स्कूल में भी वो सब सुविधा हो, जिसके लिए स्कूल जाने जाते है। लिहाजा गांव वालों के साथ मिलकर प्रयास शुरू हुए और आज यह स्कूल किसी भी निजी विद्यालय से कम नहीं है। यहां वो सब सुविधाएं है, जो किसी निजी विद्यालय में विद्यार्थी को मिलती है। इसके पीछे गांव वालों की सोच, समय और आर्थिक सहयोग का करिश्मा है।


300 विद्यार्थियों के लिए कुर्सी की है व्यवस्था


माध्यमिक विद्यालय बकावां के प्रधान पाठक कन्हैयालाल कुशवाह बताते है कि जन सहयोग से स्कूल में शत-प्रतिशत विद्यार्थियों के लिए फर्नीचर की व्यवस्था है। इतना ही नहीं यहां जनसहयोग से कम्प्यूटर, एलईडी, पर्याप्त पंखे और प्रिंटर की भी व्यवस्था की गई है। स्टॉफ, विद्यार्थियों व गावों के सहयोग से 5 हजार स्कवेयर फीट में एक गार्डन विकसित किया है, जो किसी निजी स्कूलों की सबसे बड़ी पहचान भी होती है। इसके लिए जन सहयोग से गार्डन के लिए घास काटने की मशीन और सुंदर झूला भी मिला है। इस गार्डन में स्कूल स्टॉफ के कमलचंद चौधरी, कमलसिंह सोलंकी, श्रीराम नायक, मुकेश चौधरी और श्रीमती अनिता करोले ने अपनी-अपनी पसंद के फूल व फलदार तथा सजावटी करीब 800 छोटे-बड़े पौधे लगाए है।


निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को भी कर रहा है आकर्षित


प्रधान पाठक कुशवाह ने बताया कि वंछित वर्गों के बच्चों को निजी विद्यालयों की तरह सुविधाएं और माहौल देने की दिशा में स्कूल स्टॉफ ने कुछ नया करने का निर्णय लिया था। इस निर्णय पर कुछ हद तक हम खरें भी उतरने में कामयाब हुए है। गत वर्षों में यहां का रिजल्ट 100 प्रतिशत रहा है। वहीं विद्यार्थियों का अनुशासन भी और बच्चों को आकर्षित करता है। पिछले 2-3 वर्षों में इस स्कूल में करीब 15 विद्यार्थियों ने निजी विद्यालय को छोड़ इस विद्यालय में प्रवेश लिया है। ये विद्यार्थी आज इस विद्यालय के होकर अन्य विद्यार्थियों को भी सहयोग करते है। गांव वालों की प्रतिवर्ष मांग रहती है कि वार्षिक सम्मेलन गांव में हो, जिसका पूरा गांव बेसब्री से इंतजार करता है।


रसोई योजना के लिए 20 अक्टूबर तक निविदाएं आमंत्रित


खरगोन। दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना के द्वितीय चरण के अंतर्गत खरगोन एवं महेश्वर में रसोई योजना प्रारंभ की जाना है। इसके लिए इच्छुक पंजीकृत स्वयंसेवी संस्थाएं, अशासकीय सेवा भावी संस्थाएं, एनजीओ व समुह 20 अक्टूबर शाम 5 बजे तक जिला शहरी अभिकरण खरगोन में निविदाएं बंद लिफाफे में जमा करा सकता है। परियोजना अधिकारी श्रीमती प्रियंका पटेल ने बताया कि योजना के संचालन में शर्तें निर्धारित की गई है। इसके अनुसार संस्था का जीवित पंजीकृत एवं विगत 5 वर्षों का ऑडिट तथा समान कार्य का अनुभाव होना आवश्यक है। इसके अलावा अन्य शर्तें जिला शहरी विकास अभिकरण, खरगोन नपा एवं नगर परिषद महेश्वर में कार्यालयीन समय में देखी जा सकती है।


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