अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पर पुनालसा में आयोजित की संगोष्ठी


खरगोन 01 अक्टूबर 2020। अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के अवसर पर पुनालसा में वृद्धजनों का सम्मान करते हुए संगोष्ठी आयोजित की गई। जिला प्रोग्राम लीडर केबी मंसारे ने बताया कि समाज में वृद्धजनों के पास अपार अनुभव व ज्ञान है उसका लाभ परिवार तथा समाज के लिए लाभदायक है। उनके साथ सहानुभूति व अच्छा व्यवहार करें, उनको बोझ नहीं समझे। वे परिवार का अभिन्न हिस्सा है। वृद्धजनों का स्थान घर में है अनाथ आश्रम में नहीं। इस अवसर पर ग्राम के सबसे वरिष्ठ नागरिक वृद्धजन सीताराम, बुजुर्ग महिला कड़वीबाई तथा श्याणीबाई, चौतराम का शाल व श्रीफल देकर सम्मानित किया गया।


जिंदादिली का पाठ सिखाकर घर लौटी 92 वर्षीय महिला



खरगोन। जिस घर में पिछले 7 दिनों से पारिवारिक माहौल, हसी-ठहाके और रिश्तेनातों की बयार बह रही थी। आज अचानक थम सी गई, जैसे परिवार के सभी सदस्य खुशी के बीच मायुस से हो गए। खरगोन के कोविड केयर सेंटर में 24 सितंबर को सेगांव की 92 वर्षीय राजकौर गुप्ता आई थी। उसके बाद से यहां ऐसा पारिवारिक माहौल बना की सब बेटा-बेटी, पोता-पोती, नाना-नानी जैसे शब्द न सिर्फ जुबान पर, बल्कि व्यवहार में भी आने लगे। 5 दिनों से यह सब देखकर रहे अवनी ग्राम के 33 वर्षीय संक्रमित व्यक्ति ने बताया कि 92 वर्षीय दादी ने जिस तरह यहां जिंदादिली का माहौल बनाया, वह वाकई में जीवन के अनमोल लम्हों में से एक बन गया है। इस उम्र में जिस तरह उन्होंने सुबह-शाम टहलना, ईश्वर को याद करना और अन्न को सर्वोपरी मानते हुए अन्न के प्रति कृतज्ञता अर्पित करना, वास्तव में यहां रह रहे हम युवा व बच्चों के लिए जिंदगी के किसी पाठ से कम नहीं है। सेंटर पर जब भी टिफिन आता था, तो दादी रोटियां व भोजन देखकर अपने बच्चों को देने का आग्रह करती, लेनिक जब कोई नहीं लेता, तो दादी हमेशा गाय के लिए एक रोटी अलग से निकालकर रखती थी। यहां 12 वर्षीय लड़की ने दादी को वास्तव में अपनी दादी मानकर सात दिनों तक लाड़- प्यार के रंग में रंगी रहीं। वास्तव में ऐसे उम्रदराज व्यक्ति हमारे समाज के लिए सर्वोपरी साबित होते है। गुरूवार को जब दादी घर लौटी, तो सबके चेहरे पर खुशी थी, लेकिन मन में दादी का लाड़-प्यार अब भी बरकरार रह गया।


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