सर्वपितृ अमावस्या पर पितरो के साथ शहीदों,व संतो के नाम का किया तर्पण
गीता गंगा ट्रस्ट द्वारा कराए जा रहे निःशुल्क तर्पण का सर्व पितृ शांति यज्ञ महोत्सव का अमावस्या पर हुआ समापन
खरगोन। कुंदा नदी तट स्थित श्री महाकाल मंदिर परिसर में गीता गंगा ट्रस्ट द्वारा कराए जा रहे पितृ शांति यज्ञ महोत्सव का गुरुवार को सर्व पितृ अमावस्या पर समापन हुआ। समापन अवसर पर तर्पण करने वाले व्यक्तियों ने अपने-अपने माता-पिता के साथ देश के शहीदों, संतों एवं महापुरुषों के नाम का भी तर्पण किया। कार्यक्रम के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र भावसार लाला ने बताया कि गुरुवार को सर्वपितृ अमावस्या के दिन देश के लिए अपनी जान कि बाजी लगाकर सीने पर गोली खाने वाले ऐसे शहीद, जिनका दुनिया में कोई नहीं है और जो दिन-रात बॉर्डर पर देश के रक्षा के लिए तैनात रहते, उनका भी तर्पण किया। साथ ही देश के ऐसे महापुरुष जिन्होंने देश एवं समाज के लिए कुछ किया हो, उनका भी तर्पण किया। इसके अलावा आदिगुरु शंकराचार्य, अहिल्याबाई, तुलसीदास जी, श्री पूर्णानंद जी, डंडी स्वामी मोहनानंद जी सहित अन्य संतों का भी सामूहिक रूप से तर्पण किया गया। तपर्ण में विष्णु पुजन के साथ ब्रह्म यज्ञ, देव, मनुष्य, यम, पितृ तर्पण भीष्म तर्पण व पिण्ड दान के साथ वैश्वदेव यज्ञ भी कराया गया। कार्यक्रम में राजेश अग्रवाल, जयंत ठक्कर, अंतिम गोस्वामी, कृष्णा चौरे एवं महाकाल ग्रुप के सदस्यों का सराहनीय योगदान रहा।
सनातन धर्म के जनमानस ने सामूहिक रूप से किया तर्पण
आयोजन के मुख्य सुत्रधार पंडित जगदीश ठक्कर ने कहा कि सर्वपितृ अमावस्या पर सनातन धर्म के सभी जनमानस ने उपस्थित होकर सामूहिक रूप से तर्पण किया। पंडित श्री ठक्कर ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति पर तीन ऋण मुख्य रूप से होते हैं। उनमे से एक है पितृ ऋण, जिसे पितृ शांति के लिए तर्पण व पिंड दान कर के कम कर सकते हैं। महालय पक्ष में शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति अपने पित्रों को याद कर के जल तर्पण व पिंड दान करते हैं, तो उन्हें आशीर्वाद प्रदान करते हैं, जिससे सुख शांति व समृद्धि को प्राप्त करते हैं। पंडित श्री ठक्कर ने आगे बताया कि जिस व्यक्ति को पितृ दोष है वह भी इस दिन जल तर्पण एवं पिंडदान करके दोष से मुक्त हो सकता है।
जिनका दुनिया में कोई नहीं है उनके लिए भी किया तर्पण
गीता गंगा ट्रस्ट द्वारा सोलह श्राद्ध में कराए गए तर्पण में रोजाना शामिल होने वाले संतोष गुप्ता, गोविंद भावसार, शंभूसिंह वर्मा, दीपक रघुवंशी, संजीव राठौर और मनीष जोशी ने बताया कि रोजाना तर्पण करने से आत्मा को शांति मिलती है और घर में सुख शांति बनी रहती है। पूरे 17 दिन अपने माता-पिता के साथ उन लोगों का भी तर्पण किया जिनका दुनिया में कोई नहीं है। पंडित श्री ठक्कर ने कार्यक्रम में सहयोग प्रदान करने वाले सभी जनमानस का आभार भी व्यक्त किया।
इनका भी किया तर्पण
मीडिया प्रभारी श्री भावसार ने बताया कि सोलह श्राद्ध में रोजाना हुए तर्पण में जिन व्यक्तियों ने हिस्सा लिया, उन्होंने अपने माता-पिता का तो तर्पण किया ही है। साथ ही उन्होंने अपनी पत्नी पुत्र कन्या बुआ-फूफा, मासाजी- मासी, काका-काकी, बड़े पापा-मम्मी, मामा-मामी के साथ अपने गुरु, मित्र, शिष्य एवं पड़ोसी के नाम का भी तर्पण किया।
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