संस्कृति मंत्री के बयान से जयस में आक्रोश 

संरक्षक पंवार ने कहा. जयस की सक्रियता से सरकार आदिवासियों को बरगलाने में हो रही नाकाम, मंत्री ने बयान से अपनी औछी मानसिकता का दिया परिचय


खरगोन। प्रदेश सरकार की काबिना मंत्री उषा ठाकुर के द्वारा महु में आयोजित कार्यक्रम के दौरान जय आदिवासी युवा संगठन (जयस) को देशद्रोही कहे जाने के बयान को लेकर जयस पदाधिकारियों सहित कार्यक्रताओं में आक्रोश की लहर पनप रही है। इस बयान को नेशनल जयस संरक्षक राजेंद्र सिंह पंवार ने मंत्री ठाकुर सहित प्रदेश सरकार की ओछी मानसिकता का परिचय करार दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि जयस संगठन द्वारा प्रदेश में किए जा रहे आदिवासियों को एकजुट करने उनके अधिकारों के लिए जागृत करने के प्रयासों से सरकार को अपनी जमीन खिसकती दिख रही है। उसे डर सताने लगा है कि अब आदिवासी कहीं जागृत हो गए तो वे उन्हें बरगला नहीं सकेंगे, इसलिए संगठन को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। यह केवल मंत्री का बयान नहीं सरकार की सोच उजागर करना है। पंवार ने बताया कि जयस 11 आदिवासी राज्यों में सक्रिय होकर अपने संविधान प्रदत अधिकारों की बात करता है, संविधान की पांचवी अनुसूची धरातल पर लागू किए जाने की मांग करता है और संविधान में दिए गए प्रावधान अनुसार आदिवासी समाज की रीति रिवाज एवं संस्कृति को संरक्षित करने की मांग करता रहा है। आमजनता के बीच रखें प्रमाण


पंवार ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि मंत्री ठाकुर के पास जयस के देशद्रोह जैसे अपराध में लिप्त होने के कोई प्रमाण हैं, तो वे सार्वजनिक करें, अथवा अपने पद से इस्तीफा दें और जयस से माफी मांगे। अन्यथा संगठन आंदोलन को बाध्य होगा। पंवार ने प्रदेश के राज्यपाल से भी मांग की है प्रदेश की वर्तमान परिस्थितियों में आदिवासी समाज अपने आप को प्रताडि़त और अलग.थलग महसूस करने लगा है। आपको संविधान में दिए गए अधिकारों के तहत इस समाज का संरक्षण करने के अधिकारों का उपयोग कर पांचवी अनुसूची को धरातल पर लागू करने की कार्रवाई की जानी चाहिए।


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