किसान पूर्ण सहमत हो, तो आगे करें नहर का निर्माण-कलेक्टर
औंकारेश्वर परियोजना के अधूरे काम को पूर्ण कराने में आ रही अड़चनों के लिए हुई बैठक
खरगोन 03 सितंबर 2020। कलेक्टर श्रीमती अनुग्रहा पी ने औंकारेश्वर परियोजना द्वितीय व प्रथम चरण के कार्यपालन यंत्री और राजस्व विभाग के अधिकारियों से कहा कि किसानों की पूर्ण सहमति हो, तो ही नहर निर्माण का कार्य आगे किया जाए। गुरूवार को कलेक्टर श्रीमती अनुग्रहा ने राजस्व एवं एनव्हीडीए विभाग के अधिकारियों सहित उन किसानों को भी बैठक में आमंत्रित किया था, जिनके गांव व खेतों से नहर गुजरने वाली है। औंकारेश्वर नहर परियोजना के अंतर्गत कई ऐसे गांव है, जहां छोटी-छोटी नहरों से कार्य पूर्ण होना है। इन किसानों को वर्ष 2008 से 2010 के बीच भूमि भू-अर्जन कर मुआवजा राशि दी जा चुकी है, लेकिन अब कुछ किसान उनके खेतों से आगे नहर बनाने से पिछे हट रहे है। बैठक में कलेक्टर श्रीमती अनुग्रहा ने उपस्थित किसानों सलाह-मशविरा करते हुए उनकी प्रतिक्रिया ली। किसानों ने कहा कि वर्तमान में नर्मदा किनारें से खेत होने के कारण यहां सिंचाई के पर्याप्त साधन है। जबकि यह नहरें भी सिंचाई को लेकर ही बनाई जा रही है, तो हम अपने खेतों में क्यों नहर निकलने दें। पूर्व में जो उनकी भूमि अधिग्रहित की गई थी, उनकी राशि जमा करने के लिए तैयार है। बैठक में किसानों के अलावा कसरावद एसडीएम संघप्रिय, एनव्हीडीए कार्यपालन यंत्री डीआर पचोरे, एसके टंडन, एलके वर्मा, महेश्वर तहसीलदार देवदत्त शर्मा उपस्थित रहे।
महेश्वर, बड़वाह व कसरावद के किसानों से होगी चर्चा
कलेक्टर श्रीमती अनुग्रहा ने एसडीएम और एनव्हीडीए के अधिकारी से कहा कि यहां के असहमत किसानों से पुनः चर्चा करें और आने वाले 20 से 40 वर्षों के बाद की स्थिति पर आवश्यक रूप से बताएं। आवश्यकता पड़ने पर ग्राम सभा भी करें। किसानों की पूर्ण सहमति होने के बाद ही यह कार्य आगे बढ़ाया जा सकता है। कलेक्टर श्रीमती अनुग्रहा ने बैठक में मौजूद किसानों से कहा कि वर्ष 2024 तक यदि निर्माण कार्य पूर्ण हो जाए, तो बेहतर है, अन्यथा इसके बाद निर्माण कार्य करने के लिए तीन राज्यों की सरकारों से अनुमति लेनी होगी। कलेक्टर श्रीमती अनुग्रहा ने कहा कि जिन क्षेत्रों में पानी नहीं है, उन किसानों के बारे में भी सोचना चाहिए। पानी हर एक की आवश्यकता है। ऐसे ही कार्य बड़वानी व धार जिले में भी अधूरे है, लेकिन वहां के किसान नहर बनाने में सहमति दे रहे है। यहां के किसानों को भी आज से 50 वर्ष आगे कि सोचनी चाहिए। आज भले ही ट्यूबेल व कुएं चल रहे है, लेकिन हर समय एक जैसा नहीं होता है।
कुछ किसानों के कारण आगे नहीं बढ़ पा रही है नहर
बैठक में उपस्थित औंकारेश्वर परियोजना फेज-1 और फेज-2 के कार्यपालन यंत्रियों ने बताया कि कुछ असहमत किसान है, जिनके कारण कार्य आगे नहीं बढ़ पा रहा है और वे किसान मुआवजा राशि लौटाने के लिए तैयार हैं। बाई तट बहाव नहर के प्रथम चरण के अंतर्गत बड़वाह व कसरावद के 653 किसानों की भूमि अधिग्रहित कर मुआवजा दिया जा चुका है। इनमें से 375 किसानों की असहमति के कारण आगे का कार्य नहीं हो पा रहा हैं। इनमें से कुछ किसान असहमति जता रहे है। इसी तरह दाई तट नहर के गंगातखेड़ी के 18 व धुआटिया के 8 किसानों के अलावा मंडलेश्वर डिविजन के 17 गांवों के 551 किसानों में से 67 किसान आगे का कार्य नहीं होने दे रहे है। कलेक्टर श्रीमती अनुग्रहा ने अधिकारियों से कहा कि उनसे लिखित में स्वीकृति के साथ-साथ वीडियोग्राफी भी करवाई जाएं।
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