विंद्यांचाल की वादियों में युवाओं ने खोजें मनमोहक झरने
सोशल मीडिया पर शेयर की जगह की लोकेशन व जानकारी
शिवम् कर्मा (लोक जागृति समाचार)
अनजान रास्तों पर निकलने की आदत ने युवाओं के एक समूह को मनमोहक झरनों से रूबरू करवा दिया।विंध्याचल की पहाड़ियों में उन्होंने ऐसे झरनों की खोज की जिसके बारे में अभी तक बहुत कम ही पर्यटकों को पता है। उन्होंने लोक जागृति से साझा किया अपना अनुभव साझा किया।
होलकर विज्ञान महाविद्यालय इंदौर में अध्ययनरत ग्राम गुजर मोहना निवासी ग्रुप के जितेंद्र वर्मा ने बताया कि उन्हें सैर सपाटे व नई नई जगह घूमने का बचपन से ही शौक है। जब भी छुट्टियों में घर आते है विद्यांचल की पहाड़ियों में नई जगह घूमने अवश्य जाते है। अभी कोरोना संक्रमण के चलते घर पर ही होने से मैने अपने दोस्तो राधेश्याम वर्मा, अर्जुन डावर, हेमंत निमाड़ी, संजय औसारी, सावन , खुमानसिंग, रामेश्वर गिरवाल ने इस सफर की शुरुआत की।
पथरीले रास्तों के बीच स्थित है झरना "झल्ला" -
जितेन्द्र ने बताया कि यह जगह महेश्वर से करीब 30किलोमीटर दूर स्थित ग्राम सालीपूरा व टेकवा के बीच करीब 5 किलोमीटर दूर जंगल में पथरीले रास्तों पर पैदल चलने के बाद यह खूबसरत झरनों का सुंदर दृश्य देखने को मिलता है। यह इलाका वन वन्य परिक्षेत्र के अंतर्गत आता है जिससे कई वन्य प्राणियों को विचरण करते हुए भी देखा जा सकता है। वैसे तो इस जगह पर कई प्राकृतिक झरने देखने को मिलते है लेकिन हमारा लक्ष्य सबसे बड़ा व खूबसरत झरने देखने का था जिसे स्थानीय लोग "झल्ला" भी कहते है। इसी झरने से बहते हुए पानी सालिपूरा तालाब की ओर जाता है जिससे इस क्षेत्र की हजारों हेक्टेयर जमीन को सिंचाई के लिए पानी मिलता है। झरने से गिरते पानी की बूंदे दुग्ध धारा सी दिखाई पड़ती है ।
सोशल मीडिया के माध्यम से शेयर की लोकेशन -
उन्होंने बताया कि वैसे तो हम दूर दूर तक हरियाली की खोज में जाते है लेकिन विंध्याचल की गोद में प्रकृति का यह उपहार बहुत कम लोगों ने है देखा है। सोशल मीडिया के माध्यम से इस जगह की जानकारी व लोकेशन शेयर की है ताकी अन्य पर्यटक भी इस जगह आकर प्रकृति के इस स्वरूप का आनंद ले सके। यह जगह वन्य प्राणियों से भरपूर है इसलिए वन्य अभ्यारण बनाने पर भी विचार किया जा सकता है।
उन्होंने वन विभाग से झरने को संरक्षित करने व पहुंच मार्ग को सुगम करने की भी मांग किं जिससे अन्य पर्यटक भी आसानी से वहा पहुंच सके।
उल्लेखनीय है कि विंध्याचल पर्वत श्रंखला में ऐसे कई प्राकृतिक दर्शनीय स्थल मौजूद है जिनकी संरक्षित कर पर्यटन कि संभावनाएं तलाशी जा सकती है।
फैक्ट
1)महेश्वर से 30 किमी दूर
2)विध्यांचल की पहाड़ियों में है स्थित।
3) कई मनमोहक झरने है , सबसे बड़े झरने का नाम स्थानीय लोगो के मुताबिक " झल्ला" है।
4) वन्य परिक्षेत्र होने से कई वन्य प्राणी भी करते है विचरण।
5) सालीपुरा बड़े तालाब में एकत्रित होता है पानी।
6) तालाब के पानी से सिंचित होती है हजारों हेक्टेयर फसल।
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