पीओपी से प्रतिमाओं के निर्माण पर लगा पूर्ण प्रतिबंध

 


खरगोन 11 अगस्त 2020। जिले में मूर्ति निर्माण एवं विसर्जन से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी श्री गोपालचंद्र डाड ने दंड प्रक्रिया संहिता-1973 की धारा 144 के अंतर्गत आदेश जारी किए है। जारी आदेशानुसार मूर्तियों/प्रतिमाओं के निर्माण में केवल उन्हीं प्राकृतिक सामग्रियों का ही इस्तेमान किया जाए, जैसा की पवित्र ग्रंथों में उल्लेखित है। मूर्तियों के निर्माण में परंपरागत मिट्टी का ही उपयोग किया जाए, पकी हुई मिट्टी, पीओपी या किसी प्रकार के केमिकल व रासायनिक वस्तुओं का उपयोग मूर्ति निर्माण में किया जाना प्रतिबंधित रहेगा। वहीं विक्रय की जाने वाली मूतियों का निर्माण की ऊंचाई अधिकतम 2 फीट की रहेगी। इससे अधिक ऊंचाई की मूर्ति का निर्माण नहीं किया जाए व नहीं विक्रय की जाएं। पूजन सामग्री जैसे फल-फूल, नारियल, वस्त्र-आभूषण, सजावट के सामान, जिनमें कागज व प्लॉस्टिक की निर्मित वस्तुएं शामिल है, को मूर्ति/प्रतिमाओं विसर्जन के पूर्व निकाल कर उन्हें अलग-अलग एकत्रित करें। मूर्ति/प्रतिमाओं के विसर्जन के 24 घंटे के भीतर विसर्जित मूर्ति/ प्रतिमाओं से उत्पन्न ठोस अपशिष्ठों जैसे बांस, रस्सी, मिट्टी, पीओपी, प्रतिमा के हिस्से आदि को एकत्रित कर उनका निपटान नगरीय ठोस अपशिष्ठ नियम-2000 के प्रावधानों के परिप्रेक्ष्य में स्थानीय निकायों द्वारा किया जाएगा। आदेश से व्यथित व्यक्ति दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा-144 (5) के अंतर्गत अधोहस्ताक्षरकर्ता के न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत कर सकेगा। यह आदेश 11 अगस्त से 14 अक्टूबर 2020 तक प्रभावशील रहेगा। आदेश का उल्लंघन धारा-188 भारतीय दंड विधान अंतर्गत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आएगा।


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