मिर्च में सफेद मक्खी, थ्रिप्स व मकड़ी नियंत्रण के संबंध में एडवाईजरी की जारी

खरगोन 20 अगस्त 2020। इन दिनों जिले में मिर्च की फसलों पर वायरस का प्रकोप जारी है। ज्यादातर मिर्च में सफेद मक्खी, थ्रिप्स एवं मकड़ी के नियंत्रण के बारे में बताया जा रहा है। इस संबंध में उद्यानिकी विभाग द्वारा एडवाईजरी जारी की गई है। उद्यानिकी उप संचालक केके गिरवाल ने किसानों से कहा कि पत्तियों की निचली सतह से रस चूसने के कारण पत्तियों का नीचे की ओर सिकुड़कर छोटा हो जाना तथा पौधों की वृद्धि रूक जाना मिर्च में सफेद मक्खी के नियंत्रण के लक्षण है। इसकी रोकथाम के लिए किसान पाईरीप्रॉसीफेन 10 प्रतिशत ईसी 200 मिली एकड़, 120 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। वहीं पेनप्रोथ्रीन 30 प्रतिशत ईसी 100-136 मिली प्रति एकड़, 300-400 लीटर पानी में घोल बनाकर दोनों दवाईयों को 14-14 दिन के अंतराल पर बदल-बदल कर छिड़काव करें। वहीं पत्तियों एवं मुलायम भागों से रस चूसने के कारण पत्तियों पर उपर की ओर सिकुडकर छोटा हो जाना, नाव के आकार का हो जाना, पौधों की वृद्धि रूक जाना तथा प्रभावित फलों पर हल्के भूरे रंग के निशान दिखाई देना मिर्च में थ्रिप्स के नियंत्रण के लक्षण है। इसकी रोकथाम के लिए किसान फिप्रोनील 5 प्रतिशत एसी 400 मिली तथा स्पिनटोरम 11.70 प्रतिशत एसी 200 मिली प्रति एकड़ 200-200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। साईट्रानिलिप्रोएल 10.26 प्रतिशत ओडी 240 मिली प्रति एकड़, 200 लीटर पानी में घोल बनाकर दवाईयों को 14-14 दिन के अंतराल पर बदल-बदल कर छिड़काव करें। इसके अलावा पत्तियों के नीचले भाग से रस चूसने के कारण पत्तियों का नीचे की ओर सिकुड़कर छोटा हो जाना, उल्टी नाव के आकार का हो जाना तथा पौधों की वृद्धि रूक जाना मिर्च में मकड़ी के नियंत्रण के लक्षण है। इसकी रोकथाम के लिए फेनजाक्विन 10 प्रतिशत ईसी 500 मिली प्रति एकड़ 160-200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। वहीं स्पिरोमेसिफेन 22.9 प्रतिशत एससी 160 मिली प्रति एकड़ 200-300 लीटर पानी में घोल बनाकर दोनों दवाईयों को बदल-बदल कर छिड़काव करें।


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