आरटीआई का उड़ा रहे मखौल

 


बिजली विभाग नहीं दे रहा जानकारी।


जानकारी के लिये गुमराह किया जा रहा ।


भ्रष्टाचार पर रोक लगाने, पारदर्शिता बनाने के लिए सरकार ने सूचना का अधिकार बना कर लागू किया लेकिन खुद सरकारी अधिकारी ही इसका मखौल उड़ा रहे हैं। बात चाहे स्वास्थ्य विभाग की हो या फिर शिक्षा विभाग की। हर विभाग में आवेदकों ने महीनों पहले आवेदन किए लेकिन जवाब नहीं मिल रहा। दर्जनों मामले ऐसे हैं जो अधिकारी दबा कर बैठे हैं और जवाब देने के नाम पर या तो टालमटोल की जा रही है या फिर लापरवाही बरती जा रही है।


 


खरगोन : 'सूचना के अधिकार' को सरकार आम लोगों की हिम्मत बढ़ाने का हथियार बना रही थी। दावा किया जा रहा था कि इसके बाद सरकारी अधिकारियों की मनमानी कम होगी और कार्यशैली में पारदर्शिता बढ़ेगी लेकिन ये सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं। लोगों की जानकारी मिलना, गड़बड़ियों की पोल खुलना तो दूर आवेदन तक स्वीकार नहीं हो रहे और अगर आवेदन ले भी लिए जाते हैं तो जवाब नहीं मिलता। किसी भी आवेदन का जवाब देने के लिए 30 दिन की समय सीमा तय की गई है लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी आवेदक चक्कर काटते रहते हैं और अधिकारी टालमटोल के बहाने खोजते रहते हैं। मामला बिजली विभाग करही से जुडा हुआ हैं जहाँ अधिकारी खुद इस कानून का खुले आम मजाक उड़ा रहे है ।


 


जानकारी जो चाही गई।                   


आवेदक प्रीति सुराणा एवं शैलेंद्र सुराणा निवासी करही ने मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड करही वितरण केंद्र से बिजली उपभोक्ता प्रीति सुराणा सर्विस क्रमांक 38/9005642 और, शैलेंद्र सुराणा सर्विस क्रमांक 3819 1001848 दिया गया के संबंध में जानकारी चाही गई जिसमे रसीद दिनांक 18//09/2008 से आवेदन दिनांक यानी 8 फरवरी 2020 तक जो भी वसूली एवं सूचना पत्र बी फार्मसी फॉर्म नोटिस बिल कनेक्शन डिस्कनेक्शन आदि की गयी लोक अदालत संबंधित के नोटिस आदि सभी तरह की कार्यवाही की जानकारी चाही गई।


 


विभाग का गोलमाल जबाब।


आप यदि सूचना अधिकार की जानकारी चाहते हैं तो आप वर्तमान में कार्यालय में उपलब्ध जानकारी प्राप्त करने हेतु करही कार्यालय से संपर्क करें । विभाग द्वारा जो जबाब दिया गया है वो समझ से परे है । आवेदक ने कई बार बिजली विभाग से प्रामाणित जानकारी लेने के लिये सम्पर्क किया लेकिन विभागीय अधिकारियों के द्वारा टालमटोल कर जानकारी आज तक नही दी है एक दूसरे के पास भेजा जा रहा है । आवेदक को बेवजह विभाग के चक्कर लगवाए जा रहे है । 4 माह बाद भी जानकारी नही मिलने एवं परेशान होकर आवेदक ने प्रथम अपील अधिकारी के यहाँ अपील लगाने को मजबूर होना पड़ रहा है ।


 


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