भक्तामर स्तोत्र के पठन-पाठन से होते है कष्ट दूर---- आचार्य प्रणाम
बैडिया( राजेंद्र नामदेव) नगर में विराजित परम पूज्य गुरुवर आचार्य श्री108 डॉ प्रणाम सागर जी महाराज ने न्यूज चैनल के माध्यम से बताया कि भक्त को जन्म, जरा और मरण से मुक्ति दिलाने वाला लोकप्रिय एवं प्रभावशाली स्त्रोत भक्तामर है। इस भक्तामर स्तोत्र को दिगम्बर और श्वेताम्बर सम्प्रदाय में श्रद्धा पूर्वक पड़ा जाता हैं क्योंकि यह स्त्रोत स्वयं में सिद्ध है हर कार्य में सफलता दिलाने वाला है।
आचार्य श्री ने बताया कि आचार्य मानतुंग स्वामी ने भक्तामर काव्य की रचना की है। आचार्य प्रणाम सागर जी महाराज ने भक्तामर स्तोत्र का गहन अध्ययन कर प्रत्येक काव्य को अर्थ एवं सन्दर्भ सहीत व्याख्या की है।
अतः आचार्य श्री को भक्तामर बाबा के नाम से भी जाना जाता हैं। आचार्य श्री ने सारा भाई विक्रम यूनिवर्सिटी उज्जैन से पी एच डी की डिग्री प्राप्त की है।
इस भक्तामर स्तोत्र का जैन समाज २४ घंटे का अखंड पाठ करके त्योहार मनाते हेओर व्यवहारिक जीवन में शांति अनुभव करते है।
समस्त समाजजनों ने श्री भक्तामर स्तोत्र यंत्र अपने घर के मुख्य द्वार पर लगाने का संकल्प लिया।
समाज अध्यक्ष अजय शाह एवं उपाध्यक्ष श्री नितिन घाटे ने बताया कि आचार्य श्री की आज की आहार चर्या भूतपूर्व सरपंच धीरेन्द्र घाटे के यहां सम्पन्न हुई और शांति धारा करने का सौभाग्य मिला श्री धर्मेन्द्र घाटे को।
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