महिला स्वास्थ्य कर्मियों की मेहनत और लगन रंग ला रही है
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ने पाई बड़ी उपलब्धि
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खरगोन 07 मार्च 2020। जो महिलाएं घर और परिवार की जिम्मेदारी पूरी तरह निभा सकती है। वे घर के बाहर भी किसी संस्था में अपने कार्य व लगन के बल पर संस्था की दूर-दूर तक पहचान दिला सकती है। आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपने विवेक और परिश्रम के बल पर न सिर्फ परिवार का नाम रोशन कर रही है, बल्कि समाज को सशक्तिकरण का संदेश भी दे रही है। ऐसी ही महिला स्वास्थ्य कर्मियों का अमला महेश्वर तहसील के करही क्षेत्र के अतिदूर्गम पहाड़ी व आदिवासी क्षेत्र में बने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यहां पदस्थ दो महिला डॉक्टर, दो स्टॉफ नर्स और दो एएनएम सहित एक सफाईकर्मी ने इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को निजी अस्पताल की भांति सबके सामने उदाहरण प्रस्तुत किया है। यहां की प्रबंधन व्यवस्था इतनी सुद्ढ़ है कि हर कोई यहां आकर निजी अस्पताल की तरह सुविधाएं पाता है। प्रसुताओं के लिए प्रतिदिन नाश्ते में घी का हलवा और शिशु को दुध पिलाने के लिए अलग से कैबिन की व्यवस्था की गई है। अनपढ़ प्रसुताओं को कर्मचारियों को लिखना व पढ़ना भी सिखाया जाता है। अस्पताल में नवजात शिशु के लिए वार्मर मशीन व फोटो थैरेपी मशीन की सुविधा उपलब्ध है। अस्पताल परिसर में ही गर्भवती महिलाओं के लिए सप्ताह में दो दिन जांच शिविर आयोजित किया जाता है।
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सन् 1955 में बनी थी छोटी सी डिस्पेंसरी
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करही में सन् 1955 में एक छोटी सी डिस्पेंसरी के रूप में यह केंद्र प्रारंभ हुआ था। उस समय करही के छाजेड़ परिवार ने भूमि खरीदकर दान कर दी थी, जिस पर यह डिस्पेंसरी बनाई गई है। सन् 1982 में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अर्जुनसिंह द्वारा डिस्पेंसरी को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने के लिए शिलान्यास किया था। सन् 1986 में मुख्यमंत्री श्री मोतीलाल वोरा द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का उद्घाटन कार्यक्रम डॉ. विजयलक्ष्मी साधौं की अध्यक्षता में संपन्न हुआ था। तब से लेकर आज तक दिनों-दिन इस स्वास्थ्य केंद्र ने लगातार नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों को सेवाएं उपलब्ध कराई है। उसके बाद छाजेड़ परिवार के ही डॉ. सैनिक छाजेड़ ने सन् 1985 से यहां अपनी सेवाएं दी है।
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लगातार तीन वर्षों तक पाया कायाकल्प अवार्ड
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प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनने के बाद वर्ष 2016-17, 2017-18 और वर्ष 2018-19 से लगातार तीन बार कायाकल्प अवार्ड से सम्मानित हुआ है। वर्ष 2018-19 में प्रदेश में प्रथम स्थान भी पाया है। परिसर में स्थित मेडिकल से सरकार द्वारा निर्धारित निःशुल्क औषधि वितरण योजना के तहत स्टॉल पृथक से ओर सुविधाजनक बनाया गया है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा रक्त की कमी से सुझ रहे कुपोषित बच्चों के लिए रोगी कल्याण समिति द्वारा रक्तदान शिविर भी आयोजित किए जाते है। पिछली बार आयोजित रक्तदान शिविर के माध्यम से 346 यूनिट रक्त एकत्रित हुआ था, जो रक्त की कमी से झूंझ रहे बच्चों को चढ़ाया गया।
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शीतलता का एहसास कराती है केंद्र की हर्बल वाटिका
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अस्पताल परिसर में ही एक सुंदर हर्बल वाटिका बनाई गई है, जो शीतलता का एहसास कराती है। सामान्य तौर पर कई वाटिकाओं में सौंदर्य, फुल और सौंदर्य पेड़-पौधे दिखाई देते है, लेकिन यहां हर्बल वाटिका में न सिर्फ हर समय फुल खिले होते है, बल्कि यहां ऐसे औषधीय पौधे लगाए गए है, जो हमारे देश की आयुर्वेद पद्धति के सबसे बड़े वाहक है। वाटिका में सतावर, सफेद चंदन, अजवायन, लोंग, हड़जोड़, गरम मसाला, चित्रक, घृत कुमारी, पथरचटा, कैक्टस, पान, बडी दूधी आदि कई तरह के औषधीय पौधे से सजी हुई है। वास्तव में अतिदुर्गम पहाड़ी अंचल स्थित यह स्वास्थ्य केंद्र न सिर्फ स्वास्थ्य के लिए बल्कि अपनी सुविधाओं और व्यवस्थाओं के लिए भी जाना जाता है।
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