सांसद पटेल ने फिर उठाई इंदौर.मनमाड़ रेल लाइन का काम शुरू कराने की मांग


केंद्रिय मंत्री गडकरी और शिपिंक राज्यमंत्री से कि मुलाकात

प्रस्ताव मंजूरी के बाद भी दो साल से बंद पड़ा है काम

 

खरगोन। निमाड़. मालवा के रहवासियों सहित सांसद का ड्रीम प्रोजेक्ट बन चुकी इंदौर. मनमाड़ रेल्वे परियोजना को लेकर एक बार फिर प्रयास तेज हो चुके है। गुरुवार को सांसद गजेंद्र पटेल ने दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी एवं केंद्रीय शिपिंग राज्यमंत्री मनसुख मांडविया से उनके आवास पर मुलाकात की। सांसद ने दोनों मंत्रियों को चर्चा में बताया कि  खरगोन जनजाति बाहुल्य क्षेत्र है। आजादी के 70 साल बाद भी इस लोकसभा क्षेत्र के लोगों ने ट्रेन नहीं देखी है। सरकार ने रेल प्रोजेक्ट को हरी झंडी तो दे दी, लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है।  

कपास व्यापार को मिलेगा बढ़ावा

सांसद ने बताया कि खरगोन जिला कपास और मिर्च व्यापार के लिए प्रसिद्ध है, यहां का व्यापार यदि रेल लाईन से जुड़ जाता है तो आदिवासी बाहुल्य यह जिला विकास के नए आयाम छु सकेगा।   उन्होंने परियोजना को लेकर ध्यान आकृष्ट कराते हुए बताया कि इंदौर.महाराष्ट्र को जोडऩे और ट्रांसपोर्ट के लिहाज से सबसे ज्यादा जरूरी रेलवे प्रोजेक्ट इंदौर.मनमाड़ रेल लाइन का काम शुरू होने से पहले ही बंद हो गया है। दरअसल जून 2018 में इस प्रोजेक्ट को लेकर जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह, महाराष्ट्र सरकार, मध्य प्रदेश सरकार और जहाजरानी डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के बीच एमओयू साइन हुआ था।  62 किमी की इस परियोजना को पूरा करने के लिए जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह की ओर से 55 फीसदी, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की ओर से 15.15 फिसदी और जहाजरानी डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड की ओर से 15 फीसदी राशि दी जाना है, लेकिन एमओयू के बाद से आज तक इस प्रोजेक्ट पर कोई काम शुरू नहीं हुआ है। इस संबंध में समिति के पूछे जाने पर रेलवे एंड पोर्ट कॉरपोरेशन ने अपने जवाब में कहा है कि एमओयू के बाद अभी तक रेलवे की ओर से सक्षम अधिकारी ने किसी प्रकार से डीपीआर तैयार नहीं की है। इसलिए परियोजना को लेकर आगे की कोई कार्रवाई नहीं कर सकते।

मार्च 19 में पीएम कर चुके हैं भूमिपूजन

मार्च 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस परियोजना का भूमिपूजन कर भी कर दिया, लेकिन तब से आज तक इक इंच भी निर्माण शुरू नहीं हुआ है। इस प्रोजेक्ट को चार चरण मनमाड़ से धुलिया, धुलिया से सेंधवा और सेंधवा से खलघाट तक बनाया जाएगा। 2011 में जब प्रोजेक्ट बना था तब 1750 करोड़ रुपए लागत थी जो कि अब बढ़कर 10 हजार करोड़ हो गई है।

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