माता-पिता ईंट भट्टे के कारीगर, बेटा बन रहा है केमिकल इंजीनियर
खरगोन 14 फरवरी 2020। हमारे समाज में आज भी ऐसे माता-पिता है, जो अपने बच्चों के भविष्य संवारने में ही अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी और लक्ष्य मानते है। बहुत कम लोग जानते होंगे कि 14 फरवरी को माता-पिता पूजन दिवस भी मनाया जाता है। रायबिड़पुरा के कालूराम मनाग्रे व उनकी पत्नी बरसों से गांव में ईंट-भट्टे के कारीगर के तौर पर मजदूरी का काम करते है। मजदूरी में उन्हें महज 200 रूपए प्रतिदिन की कमाई हो पाती है। कभी-कभी तो उन्हें 200 रूपए की मजदूरी के लिए भी तरस जाते है, लेकिन उन्होंने अपने बच्चे सुजित के भविष्य को संवारने के लिए दिन-रात मजदूरी कर पढ़ाने का निर्णय लिया। आखिरकार उनकी मेहनत, लगन और दृढ़ निश्चय काम आया। आज उनका बेटा सुजित असम राज्य के गुवाहाटी में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी से केमिकल ब्रांच में इंजीनियरिंग करने पहुंचा है। कालूराम बताते है कि सुजित ने अपनी आधी मंजिल तय कर ली है। हमको जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी इंजीनियरिंग करने के बाद जब वो नौकरी करने लगेगा तब मिलेगी और हमारा सपना पूरा होगा।
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50 हजार रूपए प्रोत्साहन राशि और एकेडमी शुल्क शासन कर रहा है माफ
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वर्ष 2018-19 की नीट की परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के बाद गुवाहाटी आईआईटी में प्रवेश लेने वाले सुजित का एकेडमी शुल्क मप्र शासन द्वारा वहन किया जा रहा है। आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त जेएस डामोर ने बताया कि सुजित को प्रतिभा प्रोत्साहन योजनांतर्गत 50 हजार रूपए की राशि प्रदान की गई है। वहीं मप्र शासन की योजनांतर्गत निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जा रही है। कक्षा 10वीं सनावद की नवोदय विद्यालय व कक्षा 12वीं बैंगलोर की नवोदय विद्यालय से उत्तीर्ण करने वाले सुजित ने बताया कि बचपन से ही सरकार की उत्कृष्ट स्कूलों में निःशुल्क शिक्षा नहीं मिलती तो शायद वे आज इस मुकाम तक नहीं पहुंच पाते। देश के प्रतिष्ठित आईआईटी में प्रवेश मिलना माता-पिता की अथक मेहनत और दृढ़ निश्चय का ही परिणाम है।
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