5 वर्षीय प्रद्युम्न की सफल हुई ओपन हार्ड सर्जरी, परिवार हुआ चिंतामुक्त
खरगोन 08 जनवरी 2020। भगवानपुरा जनपद के करियापुरा गांव के मजदूर माता-पिता को अपने कलेजे के टुकड़ें प्रद्युम्न की तेज धड़कनों ने कभी भी उन्हें चैन से सोने नहीं दिया। मजदूरी कर अपना गुजारा करने वाला यह परिवार हमेशा ही बच्चें कि तेज सांसों से घबराया हुआ रहता था। इस बात का अनुमान इससे भी लगाया जा सकता है कि पिछले 6 माह पूर्व जब मुख्यमंत्री बाल हृदय योजनांतर्गत मुफ्त में ओपन हार्ड सर्जरी के लिए स्वीकृति प्राप्त हुई, तो ऑपरेशन का नाम सुनकर मना कर दिया था। आरबीएस के दल ने समझाने के प्रयास किए, लेकिन प्रद्युम्न के पिता दिनेश ने चिरफाड़ और कुछ अनहोनी घटना हो जाने के डर से मना कर दिया। फिर भी आरबीएस के दल ने हार नहीं मानी और काउंसलिंग करते रहें। अंततः प्रद्युम्न की बिगड़ती तबीयत को देखकर आरबीएस के दल की बात मान ली और ओपन हार्ड सर्जरी ऑपरेशन के लिए राजी हुए।
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अहमदाबाद के सत्य सांई में हुई ओपन हार्ड सर्जरी
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2 लाख रूपए योजना से स्वीकृत होने के बाद मना कर देने पर भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और आरबीएस के दल के डॉक्टर नीरज मालवीय के प्रयास रंग लाए। उन्होंने प्रद्युम्न को इंदौर के सत्य सांई अस्पताल में लगे शिविर में परीक्षण के लिए ले जाया गया। बच्चें के स्वास्थ्य और परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन द्वारा रेड कार्ड बनाकर दिसंबर माह में अहमदाबाद के सत्य सांई अस्पताल में ऑपरेशन करने की तारीख दी गई। 5 वर्षीय प्रद्युम्न के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित पिता एक बार फिर से अहमदाबाद आने-जाने व अन्य तरह की खर्च होने वाली राशि को लेकर चिंतित हुए। क्योंकि अस्पताल द्वारा इलाज मुफ्त था, लेकिन आने-जाने व खाने -पीने की व्यवस्था परिवार को ही करनी थी।
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रोगी कल्याण समिति से मिला सहारा
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अहमदाबाद में जाकर इलाज कराना दिनेश के लिए बड़ा ही मुश्किल काम था, क्योंकि मजदूरी से केवल घर का खर्चा ही चल पा रहा था। ऐसे में बड़े और महंगे शहर में रूपए जुटाना आसान नहीं लग रहा था। ऐसी स्थिति में दिनेश ने 5 अक्टूबर को भगवानपुरा में आपकी सरकार आपके द्वार के अंतर्गत आयोजित हुए शिविर में आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए आवेदन दिया। कलेक्टर श्री गोपालचंद्र डाड ने मौके पर ही सीएमएचओ डॉ. रजनी डावर और बीएमओ डॉ. चेतन कलमे को अहमदाबाद में इलाज के दौरान होने वाले खर्च के लिए राशि स्वीकृत करने के निर्देश दिए थे। बीएमओ कलमे ने बताया कि इलाज के आवागमन के लिए रोगी कल्याण समिति द्वारा राशि स्वीकृत की गई, जिससे उन्हें इलाज कराने में आसानी हुई। अब प्रद्युम्न एक सामान्य बच्चों की तरह ही धकड़नें लेेने लगा और स्वास्थ्य में सुधार देखकर परिवार चिंतामुक्त हो गया है।
फोटो-01, (अपनी दादी के साथ खटिया पर बैठा हुआ प्रद्युम्न)
फोटो-02 (प्रद्युम्न की मां अपने छोटे भाई को गोदी में लेकर खड़ी हुई।)
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