साफ आसमान, हवा शांत और तापमान में कमी, तो पाला अवश्य पड़ेगा


फसलों के बचाव के लिए कृषि विभाग ने जारी की एडवाईजरी
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खरगोन 30 दिसंबर। रबी की फसलें पाला पड़ने से निश्चित ही प्रभावित होती है। इसके लिए कृषि विभाग व कृषि वैज्ञानिक भी हमेशा चिंतित रहते है। किसानों को पाला से बचने के लिए समय-समय पर आवश्यक उपाय भी सुझाएं जाते है। जिले में रबी की फसलों में गेहूं की फसल के अलावा मटर, चना, मसूर और सरसों भी बोई जाती है। कृषि विभाग द्वारा जारी एडवाईजरी में किसानों को आगाह किया गया है कि सायंकाल में जब आसमान साफ हो, हवाएं शांत हो और तापमान में कमी आ रही हो, तो मान ले कि उस रात पाला अवश्य पड़ने वाला है। ऐसी स्थिति में किसान अपनी फसल में हल्की सिंचाई जरूर करें। वहीं खेत के उत्तर एवं पश्चिम दिशा की मेडों पर धुंआ करते रहें। पालें से बचने के लिए जैविक उपाय भी कारगर उपयोग होता है। इसके लिए किसान 500 मिली ताजा गौमुत्र या 500 मिली गाय के दुध को 15 लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव कर सकते है। किसान अगर पाला से बचने के लिए स्थायी समाधान चाहते है, तो वे उत्तर-पश्चिम दिशा में हवा को रोकने के लिए वृक्षों की बाढ़ तैयार कर पाले के प्रभाव को कम कर सकते है।
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दवाई व ऊर्वरकों से बचाव
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यदि किसी क्षेत्र में बहुत अधिक पाला पड़ रहा है और फसलें प्रभावित हो रही है, तो 8 से 10 किग्रा प्रति एकड़ की दर से सल्फर डस्ट का छिड़काव कर सकते है। इसके साथ ही थायों यूरिया 15 ग्राम प्रति पंप (15 लीटर पानी) अथवा 150 मिली को 150 लीटर पानी में सावधानी पूर्वक घोल बनाकर खड़ी फसल पर छिड़काव करें। पाले से बचाव के लिए ग्लूकोज का उपयोग अत्यंत प्रभावी उपाय है। खड़ी फसल पर 25 ग्राम ग्लूकोज प्रति पंप की दर से छिड़काव करें। यदि फसल पाले की चपेट में आई है, तो तुरंत 25 से 30 ग्राम ग्लूकोज प्रति पंप (15 लीटर पानी) की दर से प्रभावित फसल पर छिड़काव करें। म्यूरियट ऑफ पोटेश 150 प्रति पंप अथवा 150 मिली को 150 लीटर पानी में मिलाकर खड़ी फसलों में छिड़काव करके भी पाले से बचाव किया जा सकता है।


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