मालिश और सुपोष्टि योग चूर्ण से बच्चों के वजन में आया बदलाव
निरामया अभियान में विभाग की कोशिशें रंग लाई
खरगोन 20 दिसंबर । जिले में कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने की दिशा में 21 दिनी विशेष अभियान चलाया गया था। इसके बाद ऐसे बच्चों में आए बदलावों को देखते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा निरंतर मॉनीटरिंग और विशेष रूपरेखा के अंतर्गत कार्यप्रणाली को अंजाम दिया गया, जिसके परिणाम स्वररूप आज जिला कुपोषण दूर करने की दिशा में काफी सकारात्मक बदलाव देखने में आ रहे है। महामास तेल, सुपोष्टि चूर्ण के साथ-साथ एनआरसी केंद्रों का भी बड़ा योगदान है। अतरसुंभा की 25 माह की रिया विजय को एनआरसी सनावद में उस स्थिति में भर्ती कराया गया था, जब वह मात्र 4 किलों की थी। ऐसी स्थिति में माता-पिता स्वयं भी हताश हो चुके थे। तभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता झांसी बामनिया के प्रयास आज रंग लाएं है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता झांसी रिया के माता-पिता को लगातार दो माह से समझाईश दे रही थी। अंततः रिया के माता-पिता को समझाने में कामयाब हुई और उनके मान जाने के बाद सनावद के एनआरसी केंद्र में भर्ती किया गया। इसके पश्चात खरगोन के एनआरसी केंद्र में भी भर्ती किया गया। रिया का जब 4 दिसंबर को वजन लिया गया तो 6 किलो 590 ग्राम आया। इसी तरह आंगनवाड़ी केंद्र में विभागीय गतिविधियों और निरामया अभियान ने कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य में अचानक वृद्धि की और उनके माता-पिता के चेहरों पर मुस्कान भी फैलाने का काम किया है।
=============
21 दिनों में लगभग 70 प्रतिशत बच्चों के वजन में हुई वृद्धि
=============
महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती रत्ना शर्मा ने बताया कि 21 दिनों के निरामया अभियान के दौरान विभाग के क्षेत्रीय अमले ने अच्छे परिणाम दिए है। निरामया अभियान के अंतर्गत 5 या इससे अधिक अतिकम वजन वाले बच्चों की आंगवाडियों का चयन किया गया था। जिले की ऐसी 102 आंगनवाडियों के 733 अतिकम वजन वाले बच्चें निरामया अभियान के अंतर्गत चिन्हित किए गए। इन बच्चों की नियमित महामास तेल और सुपोष्टि युग चूर्ण क्षीरपाक विधि से बनाकर खिलाया गया। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने महामास तेल की मालिस और सुपोष्टि योग की क्षीरपाक विधि बच्चों की माताओं या दादियों को बनाकर सिखाई गई। 21 दिनों के अभियान में 509 कुपोषित बच्चों के वजन में वृद्धि हुई।
Comments
Post a Comment